जैसा ध्यान धरोगे वैसा काम करोगे

ध्यान धरो ध्येय पे ध्यानस्थ होकर

वासना कहती वास ना करो वासना, 
ध्यान धरो ध्येय पे ध्यानस्थ होकर
करो आराधना करो तपस्या साधना!
साधु हो साध लो मन,अंतःकरण को,
जहां ध्यान धारित होता वहां शक्ति
संचारित संधारित्र संग्रहित हो जाती!
जैसा ध्यान धरोगे वैसा काम करोगे, 
लत से मजबूर हो-ना वासना में चूर,
वासना की आस नकार,कर उपासना!
प्रेम करना है,किसी पर ध्यान धरना,
प्यार ईश्वर से करना है ईस साधना,
प्रेम शरीर से करना होता है वासना!
जैसा ध्यान धरोगे वैसा काम करोगे

वासना देह का धर्म सृष्टि का नियम

वासना युवा तन में होता है तीव्रतम
वासना बिना संभव नहीं सृष्टि सृजन!
वासना में डूबे बिना होती नहीं सृष्टि
मगर वार्धक्य में हो वासना से मुक्त,
पुनर्जन्म कारण वासना का अंश भी!
वासना पेंदी में छिद्र लोटे को भरना,
वासना अपूरणीय दशा पूरी ना होती,
वासना अतृप्त नशा नाश नहीं होती!
वासना में आकर्षक है,ऐसा कि बिना
भोग वासना को मुश्किल है त्यागना,
वासना भोगके,जाग समाधिस्थ होना!

– विनय कुमार विनायक,
दुमका, झारखंड-814101

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