कातिल नजरों से

कातिल नजरों से लजीज

कातिल नजरों से लजीज शरीखा गिरेबान !
ए लफ्ज मुकरर्र जिद ए वफा गिरेबान !
कातिल नजरों
हर दफा जरूरत मुश्किलें हालात ताबीर ,
काबिले तारीफ गम हुरियत कतरा गिरेबान !
शिद्दते दीवार तेरी टूटी दरो हरम जस्त ,
जिगर ए रूख स्याह निशा गहरा गिरेबान !
नजाकत तेरी गर्दिशों में शुमार सदियों तक ,
हर वक्त कस्तीयाँ डूबती जलसे में गिरेबान !
खबर है शबाखैर शादगी वो सासें गिन रहे ,
बरी जहुन्नियत मशले दस्तक हो गई गिरेबान !
मेहरबान है दुनिया के अस्तबल गुफा शाम ,
मयकशी भींग गई शबनमी ओस में गिरेबान

यह रचना राहुलदेव गौतम जी द्वारा लिखी गयी है .आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है . आपकी “जलती हुई धूप” नामक काव्य -संग्रह प्रकाशित हो चुका  है .
संपर्क सूत्र – राहुल देव गौतम ,पोस्ट – भीमापर,जिला – गाज़ीपुर,उत्तर प्रदेश, पिन- २३३३०७
मोबाइल – ०८७९५०१०६५४

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