गन्दी बात

‘प्‍यार में कुछ भी गंदा नहीं होता’: क्षितिज रॉय की किताब गन्दी बात 

 नई दिल्ली : गन्दी बात, नए दौर की युवा धड़कनों की कहानी है। 24 वर्ष के युवा लेखक क्षितिज रॉय ने अन्ना आंदोलन के दौरान एक – दूसरे के संपर्क में आने वाले दो युवाओं को लेकर एक मॉर्डन समय की कहानी लिखी है। जिनके रोमांस में महानगर दिल्ली विलेन की भूमिका में दिखाई देती है, तो भाषा ओर परिवेश के देसीपन के साथ पटना का रोमांश जोर मारता दिखाई देता है। 
डेजी और गोल्डन की ज़िन्दगी में समाज और परिश्थितियां किस तरह दखल देती है और जहां कुछ भी नहीं है-
गन्दी बात
गन्दी बात

निश्चित और अनिश्चित ही है तथा उसका हल वे किस तरह ढूंढते हैं, यही है इस उपन्यास की रोचक कहानी। किताब राधाकृष्ण प्रकाशन के ‘फंडा’ उपक्रम से प्रकाशित हुई है।

गन्दी बात की कहानी कुछ इस तरह भी समझा जा सकता है –
एक लड़का था – कुछ लोफर ,लफुआ, दीवाना-सा ! जिसका दिल था नए रैपर में वही पुराना-शहीदाना । शहर पटना पूरा अपना लगे उसे !
लड़की थी अलबेली-सी, सोचने का कारखाना, हिम्‍मत की एनीटाइम लोडेड गन जैसी, पुरानी जीन्‍स और एकदम नया गाना !  
दिल्‍ली शहर में मौसम था अन्‍ना आंदोलन का, चुनाव के घुमड़ रहे थे बादल। डेजी आई पढ़ने एसएलआर में। बन गई ड्रमर। गोल्‍डन आया डेजी के पीछे बावला। बन गया ड्राइवर। दोनों थे खालिस गैर राजनीतिक युवा। ‘
उपन्यास के बारे में बात करते हुए लेखक क्षितिज रॉय कहते हैं – “गंदी बात निहायती भिन्न सामाजिक, आर्थिक परिवेश से आने वाले, दो घनघोर अ-राजनैतिक युवाओं की राजनीतिक प्रेम कहानी है। एक ब्रेकअप रोमांस है, जिसमें शहर दिल्ली विलेन है। पलायन का रोमांस भी कह सकते हैं जिसमें दो युवा अपने परिवेश से दूर दिल्ली जैसी भव्यता में अपने पटना वाले रोमांस को जीने की जिद में हैं। सन 2013 की कहानी है जब दिल्ली में भयंकर राजनीतिक उठापटक थी और उसके बीच ये दोनों ‘इश्क’ जैसी गंदी बात करने निकल पड़ते हैं।“
इस साल जनवरी में सम्पन्न विश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन के स्टॉल पर गीतकार प्रशांत इंगोले ने उपन्यास का लोकापर्ण कर लेखक के साथ बातचीत में युवा लेखकों के लेखन की प्रशंसा कर कहा कि क्षितिज जैसे लेखक की हमारे समय की कहानियाँ लिखेंगे।

लेखक क्षितिज रॉय के बारे में 

बिहार के सहरसा जिले में 1993 में जन्‍में। नेतरहाट स्‍कूल में हाई स्‍कूल तक की पढ़ाई की। उसके बाद की पढ़ाई डीपीएस (आरकेपुरम) ,किरोड़ीमल कालेज और स्‍कूल आफ इकोनामिक्‍स, नई दिल्‍ली से पूरी की। ननिहाल में किताबों से इश्‍क हुआ, कॉलेज कैंपस में लिखने से। विशेष लगाव इतिहास से रखते हैं। अपने इर्द-गिर्द पसरे किरदारों को कहानियों में समेटने की बेचैनी में जीते हैं और उन्‍हें परदे पर उतारने की भी। खुद की बनाई लघु फिल्‍में अपने YouTube चैनल MCBC FILMY पर अपलोड करते रहते हैं। इनकी लिखी कुछ कहानियां नीलेश मिसरा ने अपने रेडियो शो ‘याद शहर’ में सुनाई है।
पन्ना: 136
मूल्य : 125 
वर्ष : 2017
बाइंडिंग: पेपरबैक 
भाषा : हिंदी 
प्रकाशन : राधाकृष्ण  प्रकाशन 
आईएसबीएन : 9788183618335

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