उसे इश्क क्या है पता नहीं
कभी शम्अ पर जो जला नहीं.
वो जो हार कर भी है जीतता
उसे कहते हैं वो जुआ नहीं.
है अधूरी–सी मेरी जिंदगी
मेरा कुछ तो पूरा हुआ नहीं.
न बुझा सकेंगी ये आंधियां
ये चराग़े दिल है दिया नहीं.
मेरे हाथ आई बुराइयां
मेरी नेकियों को गिला नहीं.
मै जो अक्स दिल में उतार लूं
मुझे आइना वो मिला नहीं.
जो मिटा दे ‘देवी’ उदासियां
कभी साज़े–दिल यूं बजा नहीं.
यह ग़ज़ल देवी नागरानी जी द्वारा लिखी गयी है . आप न्यूजर्सी(यू.एस.ए) में शिक्षिका के रूप में कार्यरत है . आपकी ‘चरागे दिल ,उड़ जा पंछी,दिल से दिल तक ,लौ दर्दे दिल की तथा गम में भीगी खुशी” आदि कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी है . देवी नागरानी , हिन्दी ,सिन्धी तथा अंग्रेजी में समान रूप से साहित्यिक रचना करती हैं .