कान्हा तूने जन्म लिया था

कान्हा तूने जन्म लिया था

कान्हा  तूने जन्म लिया था मथुरा के कारा में ,
पर उजियारा ले के आए गोकुल के गलियों चौबारे में  ।
ऐसे ही दिव्य ज्योति प्रज्वलित कर दो,
हमारे मन के अँधियारे को उजाले से भर दो।
कान्हा तेरी मीठी शरारतें जन-जन मन मोहे,
माखन मिश्री ले झूमे गोरी सबको सोहे।
ऐसे ही मन भोला कर दे,
कान्हा
कान्हा
निश्चल प्यार से सबको भर दे।
कान्हा तेरी अमृत घुली बांसुरी का कोई ना सानी,
सुध – बुध  खोए झूमे नदियाँ, वृक्ष ,हर प्राणी।
ऐसे ही रस घोल दे जनमानस में,
सच्चा आनंद हम भी पा लें इस जीवन में।
कान्हा तूने  कर्तव्यों की राह चुनी, 
राधा को त्याग खुद विरह प्रीत की सही।
ऐसे ही कर्म की राह पे सजग करा दो,
सुरभित पथ पर अडिग कर दो।
कान्हा तूने क्रुर कंस को मारा,
ग्वाले बालक रूप में निर्भयता का परिचय दे डाला।
ऐसे हीं मुश्किलों  में  भय से लड़ना सिखा दो।
एक बार फिर से तुम गीता का पाठ पढ़ा दो।

–  प्रेरणा सिंह

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