कालिदास कविता की व्याख्या भावार्थ सारांश

कालिदास कविता नागार्जुन

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कालिदास कविता नागार्जुन की व्याख्या 

कालिदास! सच-सच बतलाना 
इन्दुमती के मृत्युशोक से 
अज रोया या तुम रोये थे? 
कालिदास! सच-सच बतलाना! 

व्याख्या – कवि नागार्जुन का प्रस्तुत पंक्तियों में कहना है कि हे कालिदास ! मुझे तुम यह सत्य सत्य बता दो कि महारानी इंदुमती की मृत्यु के पश्चात तुम रोये थे या उनके पति अज रोये थे। हे महाकवि कालिदास तुम मुझसे सत्य सत्य बता दो क्योंकि तुम्हारे महाकाव्य के पढ़ने से मैं इसका निर्णय नहीं कर पाता हूँ। 
विशेष – कविता में निम्नलिखित विशेषता है – 
  • भाषा अत्यंत सरल एवं प्रवाहमयी खड़ी बोली है ,जो जन साधारण की भी समझ में आ जाती है। 
  • कवि ने कालिदास की एक ऐसी रचना से अवगत कराया है जिसकी गणना संस्कृत में बृहत्रयी में होती है। 
  • सच सच में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। 
शिवजी की तीसरी आँख से 
निकली हुई महाज्वाला में 
घृत-मिश्रित सूखी समिधा-सम 
कामदेव जब भस्म हो गया 
रति का क्रंदन सुन आँसू से 
तुमने ही तो दृग धोये थे 
कालिदास! सच-सच बतलाना 
रति रोयी या तुम रोये थे? 

व्याख्या – कवि कहता है कि शिवजी के तीसरे नेत्र से निकली महाज्वाला में जब कामदेव की मिली हुई सूखी समिधा के समान भस्म हो गया तब रति का करुण विलाप सुनकर तुमने ही तो आंसुओं से केश धोये थे। तब हे कालिदास मुझे सत्य सत्य बता दो कि उस समय रति रोई रोई थी या तुम रोये थे। 
शिव की तपस्या को भंग करने आये कामदेव को शिव के तीसरे नेत्र की अत्यंत भयंकर लपटों में कामदेव ऐसे भस्म हो गया जैसे हवनकुंड में सूखी समिधा भस्म हो जाती है। उस कामदेव के भस्म हो जाने पर रति के आँसुओं की धारा फूट पड़ी। उस समय कवि कालिदास से कहता है कि तुम रोये थे या रति रोई थी। 
विशेष – कविता में निम्नलिखित विशेषता है – 
  • कविता की भाषा सरल एवं सुसंस्कृत है। 
  • ऐतिहासिक घटना का वर्णन किया गया है जिसे हम पौराणिक भी कह सकते हैं। सूखी समिधा सम में अनुप्रास अलंकार है। पुनरुक्ति प्रकाश भी दिखाई देता है। 
वर्षा ऋतु की स्निग्ध भूमिका 
प्रथम दिवस आषाढ़ मास का 
देख गगन में श्याम घन-घटा 
विधुर यक्ष का मन जब उचटा 
खड़े-खड़े तब हाथ जोड़कर 
चित्रकूट से सुभग शिखर पर 
उस बेचारे ने भेजा था 
जिनके ही द्वारा संदेशा 
उन पुष्करावर्त मेघों का 
साथी बनकर उड़ने वाले 
कालिदास! सच-सच बतलाना 
पर पीड़ा से पूर-पूर हो 
थक-थककर औ’ चूर-चूर हो 
अमल-धवल गिरि के शिखरों पर 
प्रियवर! तुम कब तक सोये थे? 
रोया यक्ष कि तुम रोये थे! 
कालिदास! सच-सच बतलाना!

व्याख्या – कवि कहना है कि आषाढ़ के महीने के प्रथम दिन से जब वर्षा ऋतू प्रारंभ होती है। वर्षा की शांत भूमिका

कालिदास कविता की व्याख्या भावार्थ सारांश

में आकाश में काले बादलों को घिरता देखकर पत्नी के विछोह से दुखी यक्ष का मन जब उचटने लगता है तब वह चित्रकूट के शिखर पर हाथ जोड़कर खड़ा हो जाता है और उन मेघों की ओर देखने लगता है जिनके हाथों उसने पहले संदेसा भेजा था। कवि कहता है कि उन पुष्कर और आवर्त मेघों के साथी बनकर आप उड़ने वाले कालिदास हैं। इसीलिए मुझे आप सत्य सत्य बतलावें जब तुम इन मेघों के साथ उड़े जा रहे थे तब दूसरे के दुःख से पूरित होकर थककर और चूर चूर होकर स्वच्छ पर्वत के शिखरों पर हे प्रियवर कालिदास तुम कब तक रोये थे। जब फिर यक्ष रोया था कि तुम रोये थे। मुझे यह आप सत्य सत्य बता दो। 

कालिदास के तीनों महाकाव्यों का परिचय नागार्जुन ने अपनी इस कालिदास नामक कविता में किया है। इसमें कालिदास के ग्रन्थ मेघदूत का वर्णन करके यक्ष के विलाप का वर्णन किया है। यक्ष आषाढ मॉस में अपनी प्रिया की याद की याद में दुखी है और आने वाले मेघों से कहते हैं कि आप यह मेरा संदेशों मेरी प्रियतमा को जाकर कहना है कि तुम नहीं आई तो मेरे प्राण अब ज्यादा दिन तक नहीं रह सकते हैं। उसका वर्णन कवि नागार्जुन ने अपनी कविता कालिदास के माध्यम से किया है और यह दिखाया है कि उस समय कालिदास स्वयं रोये थे कि कवि यक्ष ही रोया था। 
बड़े बड़े पर्वतों पर होकर बादलों को कालिदास ने निकाला है। वहाँ चढ़ कर कवि कल्पना करता है कि मेरी यक्ष की प्रिया को तुम देख लेना। 
विशेष – कविता में निम्नलिखित विशेषता है – 
  • घटा – घटा ,चूर चूर ,पूर – पूर ,अमल -धवल में अनुप्रास अलंकार है। घन घटा में रूपक अलंकार है। 
  • भाषा प्रसाद गुण युक्त संस्कृत समायुक्त सरल एवं शुद्ध है। माधुर्य गुण भी है। माधुर्य गुण भी है। व्यंजना  शब्द शक्ति है। 
  • कालिदास के तीनों महाकाव्यों का परिचय दिया गया है जिसमें श्रवण एवं पठन से सभी प्राणियों के ह्रदय में ज्ञान की ज्योति प्रकाशित होती है। 

कालिदास कविता का सारांश

हिंदी के प्रसिद्ध कवि नागार्जुन जी ने कालिदास नामक कविता में कवि ने महाकवि कालिदास से यह प्रश्न पूछा है। कालिदास के महाकाव्य रघुवंशम में कालिदास ने इंदुमती स्वयंवर का वर्णन किया है। उसमें कवि ने इंदुमती की मृत्यु के अवसर पर राजा अज को उसके विरह में विलाप करते हुए दर्शाया है। कवि ने कालिदास के महाकाव्य ऋतुसंहार में वर्णित कामदेव के भस्म होने की कथा का वर्णन करते रति के विलाप के स्थान पर कालिदास का ही विलाप समझकर उसने प्रश्न किया है। 

कालिदास प्रकृति के चितेरे कवि थे वे जब किसी काव्य की रचना करते थे तब यह प्रतीत होता था मानों यह कार्य सचमुच हो रहा है। इसीलिए उनकी इस प्रकृति से प्रभावित होकर कवि नागार्जुन यह प्रश्न करता है कि कामदेव के भष्म हो जाने पर उनकी मृत्यु के दुःख में तुमने विलाप किया या रति ने। कवि ने कविता में मेघदूत नामक गीतकाव्य में वर्णित यक्षिणी के वियोग में दुखी यक्ष (जिसे यक्षिणी से विछोह को चार साल व्यतीत हो चुके हैं ) मेघों की हवा के वार्तालाप का वर्णन किया गया है। 

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