कूड़ा दान
जिसका जो मन किया
डालता गया
सुखा हो या गीला
सब मेरे हवाले किया
छोटा हो या बड़ा
सब कुछ मुझे दिया
भारी हो या हल्का
फेंक फेंक कर मारा
मुझे दिया
कई बार Mr Bin
भी बुलाया गया
कई आकर्षक डिजाइन
भी बनाए गए
लुभावने लोगो को भी
इस्तेमाल किया गया
सब कुछ मुझ में
समाना है
सोच ये मैं भी
मुस्कुराता गया
नीचे से ऊपर तक
भरता गया
भरता गया
भरता गया
रात दिन सुबह शाम
मुझ में “” मॉल “”आता गया
हद से भी पार होता रहा
अंदर से अब बाहर
आने लग गया
अब सब मुंह चिडाने लगे
हाय !! छी !! कितनी गंदी बदबू
ये बताने लगे
फेंक फेंक कर मुझे मारने लगे
बताओ मैं क्या करूं
खुश था खुश हूं
सब कुछ सहता हूं
खाली कभी भरता हूं
सुंदर से कुरूप
कुरूप से सुंदर होता हूं
न हू तो कितना
कैसा आलम होगा
कैसे ये साफ वातावरण होगा
कितनी जरूरी चीज हूं
रोजमरा की दुनिया की अजीज हूं
साफ मुझे रखोगे तो
तुम भी साफ होंगे
तुम हो साफ तो मैं भी हंसूगा
मैं भी हंसुगा .
– सोनिया अग्रवाल
प्राध्यापिका अंग्रेजी
राजकीय पाठशाला सिरसमा
कुरूक्षेत्र