अगर लिख सको तो

अगर लिख सको तो


मीरा जैसी लगन लिखो तुम
राधा सा मिलना लिखना।
सीता का परित्याग लिखो तुम
जीवन का जलना लिखना।

लिख सको

कैकई का संताप लिखो गर
उर्मिल का तपना लिखना।
द्रौपदी की व्यथा लिखो तो
सावित्री का निश्चय लिखना।

परसुराम का परशु लिखो तो
अर्जुन का गांडीव लिखना।
चक्र सुदर्शन अगर लिखो तो
पहिया अभिमन्यु का लिखना।

राजे शिवा का छत्र लिखो तो।
प्रताप का तुम चेतक लिखना।
पुरु का गर पौरुष गाओ तो।
शब्द भेद पृथ्वी का लिखना।

गर आज़ाद को लिखना चाहो
भगतसिंह की फांसी लिखना।
बिस्मिल को गर याद करो तो।
प्रिय सुभाष को भी लिखना।

याद आयें गर बेबस बापू
जिन्ना की जिद को लिखना।
शास्त्री की शुचिता को लिख कर।
वो पटेल के तेवर लिखना।

आज़ादी की बात करो गर।
सन सैंतालीस को लिखना।
भारत को लिखना चाहो तो
गांवों की रचना लिखना।


– सुशील शर्मा

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