गुरुज्ञान

गुरुज्ञान

भगवान को छोटी-छोटी बातों पर आवाज लगाकर परेशान नहीं करना चाहिए । अगर कभी उनका मूड खराब हुआ और वह आपको ऊपर बुला लें तो क्या होगा कभी सोचा है !
2- एेसा काम करो कि  लोग बोलें, रहने दो तुम्हें ओर कुछ करने की जरूरत नहीं , बाकी काम हम कर लेंगे ।
3-आज के डेट में जो व्यक्ति नौकरी, पत्नी और मोबाइल को एकसाथ संभाल रहा है वह ही असल में महापुरुष है ।
गुरु ज्ञान 
4- वर्तमान समय में सबसे बड़ा आत्मत्याग क्य़ा है ? चार्ज होने से पहले अपना मोबाइल फोन चार्जर से निकाल कर दुसरे का मोबाइल फोन चार्ज करना तथा सबसे बड़ा दान है अपने घर का वाईफाई पासवर्ड दुसरे के साथ शेयर करना ।
5-याद रखो तुम अगर अच्छा काम करोगे लोग तुम्हें याद नहीं रखेंगे । लोग उन्हें ही याद रखेंगे जिन्होंने उनसे उधार लिया है और वापिस करने का नाम नहीं ले रहे ।
6-आजकल मातापिता की दो ही चिंताएं हैं कि बेटा इंटरनेट से क्या डाउनलोड कर रहा है और बेटी का उपलोड कर रही है ।
7-जंगल घास चरने गया सांड, ब्यूटीपार्लर गई लड़की, दोस्तों के साथ पार्टी करता लड़का और लंच पर गया अधिकारी कभी भी जल्दी नहीं लौटता ।
8- हर बात बोलने का एक सही तरीका होता है । बेवकूफ पति पत्नी से कहता है -चुप करो । बहुत बक-बक कर रही हो । चालाक पति कहता है- तुम जब चुप रहती हो न खुदा कसम कहर ढाती हो ।
9-एक पुरुष अपने घर में केवल दो ही परिस्थितियों में खुश रह सकता है-पहला जब पत्नी नई हो और दुसरा जब पत्नी नहीं हो ।
10- ह्वार्टसआप का सबसे बड़ा फायदा क्या है जानते हैं- इतनी महिलाएं एक साथ बातें करती हैं, फिर भी शोर-शराबा नहीं होता । असंभव को संभव बनाने के लिए व्हाट्सअप  प्राधिकरण को धन्यवाद ।
11-जिंदगी में कम से कम एक सच्चा दोस्त होना चाहिए ताकि तब घर में लौकी या बैंगन की सब्जी बनें तो उसके घर जाकर खाना खा सकें ।
12-अगर प्रवचन सुनने जा रहे हो तो देखो वहा खानपान की क्या व्यवस्था है । जहां खानपान की व्यवस्था हो वहीं जाओ वरना आजकल प्रवचन भी आनलाइन उपलब्ध है ।
13- धूर्मपान न करना, शराब न पीना, तेल-मसाला न खाना यह आपकी जिंदगी में और कुछ दिन जोड़ सकते हैं मगर वह दिन आपके  बुढ़ापे के होंगे जवानी के नहीं ।
14- नींद टूटने के बाद भी घंटों विस्तर पर लेटे रहने को आलस्य कहते हैं और रेस्तोरां में खाना खाने के बाद सौंफ और मिश्री ले आने को लोभ कहते हैं ।
15- गुपचुप वाले से बार-बार शुखी पापड़ी मांग कर खाने की आदत को शोषण कहते हैं और फल वाले से कुछ केले खरीदने के बहाने अंगूर की कीमत पूछते हुए सात-आठ अंगूर चबाने की आदत को छल  कहते हैं ।

– मृणाल चटर्जी
अनुवाद- इतिश्री सिंह राठौर

मृणाल चटर्जी ओडिशा के जानेमाने लेखक और प्रसिद्ध व्यंग्यकार हैं । मृणाल ने अपने स्तम्भ ‘जगते थिबा जेते दिन’ ( संसार में रहने तक) से ओड़िया व्यंग्य लेखन क्षेत्र को एक मोड़ दिया । इनका एक नाटक संकलन प्रकाशित होने वाला है । 

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