एक तिनका कविता

एक तिनका कविता

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एक तिनका कविता की व्याख्या 

मैं घमण्डों में भरा ऐंठा हुआ ।
एक दिन जब था मुण्डेरे पर खड़ा ।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ ।
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा ।।
मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा ।
लाल होकर आँख भी दुखने लगी ।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे ।
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी ।।
जब किसी ढब से निकल तिनका गया ।
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए ।
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा ।
एक तिनका है बहुत तेरे लिए ।।
व्याख्या – एक तिनका कविता में कवि अयोध्या प्रसाद हरिऔध जी ने मनुष्य को घमंड न करने की नसीहत दी है। कवि कहता है कि एक बार वह बहुत घमंड से भरा हुआ था। किसी को अपना समकक्ष समझता नहीं था। एक दिन वह अपने छत की मुंडेर पर खड़ा हुआ था। अचानक दूर से उड़ता तिनका कवि के आँख में गिर पड़ा।
एक तिनका कविता
एक तिनका कविता
कवि परेशान होकर बेचैन हो उठा। उसकी आँखें लाल होकर दुखने लगी। कवि के प्रियजन आँखों से तिनका निकालने के लिए दौर पड़े। कवि की सारी अकड़ तिनके से पानी -पानी हो गयी। किसी प्रकार उसकी आँख से तिनका निकाला गया। 
तिनका आँख से बाहर निकाले जाने पर कवि की बुद्धि ताने मारने लगी। बुद्धि ने उसको समझाया कि तू इतना क्यों ऐंठता है ,तुझमे इतना घमंड क्यों है। तुम्हारा घमंड तोड़ने के लिए एक तिनका ही काफी है। अतः तुम घमंड से बचो।

एक तिनका कविता प्रश्न अभ्यास कविता से 

प्र.1. नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए।
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा –
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी –
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी –
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया –
उ. निम्नलिखित सामान्य वाक्य है –
  • एक दिन जब मुंडेर पर खड़ा था। 
  • आँख भी लाल होकर दुखने लगी। 
  • बेचारी ऐंठ दबे पाँव भागी। 
  • किसी ढब से तिनका निकाला गया। 
प्र.२. ‘एक तिनका’ कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?
उ. कवि एक बार अपने मुंडेर पर खड़ा था कि अचानक कहीं से उड़ता हुआ तिनका उसकी आँख पर गिर पड़ा। वह दर्द से बेचैन हो गया। उसकी आँखों का तिनका निकालने के लिए पडोसी आ गए। किसी प्रकार कपड़े की नोक से तिनका निकाला गया। कवि की अक्ल ने उसे समझाया कि तू किस बात पर इतना घमंड करता है ,जब एक छोटा सा तिनका तुम्हारी अक्ल ठिकाने ला सकता है ,तो बड़ा तुम्हारा क्या हाल करेगा। अतः घमंड मत करो। 
प्र.३.आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?
उ. आँख में तिनका पड़ने से घमंडी बेचैन हो गया और उसकी आँखों से पानी गिरने लगा। वह अपनी सारी अकड़ भूलकर तिनका निकालने का प्रयास करने लगा। 
प्र.४.घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया?
उ. घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आस -पास के लोग दौड़ पड़े। वे कपड़े की नोक से घमंडी के आँख का तिनका निकालने में सफल हुए। 
प्र.५. ‘एक तिनका’ कविता में घमंडी को उसकी ‘समझ’ ने चेतावनी दी –
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है –
तिनका कबहूँ न निंदिए, पाँव तले जो होय।
कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय।।
इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर? लिखिए।

उ. दोनों कवियों की पंक्तियों में विचारसाम्यता है।पहली पंक्ति में कवि हरिऔधजी ने घमंडी व्यक्ति की अक्ल ने उसे सावधान किया कि जब तिनका तुम्हारी बुद्धि को सीधा कर सकता है ,तो क्यों घमंड करता फिर रहा है ,वहीँ कबीरदास ने तिनके जैसे छोटे पदार्थ को न दबाने का सुझाव दिया है। 
दोनों में असमानता यह है कि कवि की घमंडी अक्ल को तिनका ठीक कर देता है तो घमंड किस बात की। वहीँ कबीरदास जी सामाजिक न्याय की बात करते हैं कि किसी को छोटा समझने की भूल नहीं करना चाहिए। जब छोटा तिनका आँखों में पड़ जाता है तो वह के घमंड को तोड़ने के लिए पर्याप्त है। अतः दोनों कवियों ने घमंड त्यागने और सबको बराबर समझने की नसीहत दी है। 

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