चीकू मियाँ गए बाजार वहाँ से लाए लड्डू चार

चीकू मियाँ गए बाज़ार

चीकू मियाँ गए बाज़ार 

वहाँ से लाए लड्डू चार
चीकू मियाँ गए बाज़ार

रस्ते में टकराया सेब

हमको भी दो लड्डू एक 
इतने में केला भी आया 
देख के लड्डू, जी ललचाया
ले कर बाकी के दो लड्डू 
जल्दी से घर भागे चीकू 
घर पहुँचे तो आए गाजर 
साथ में शलजम और टमाटर 
इक नहीं दो नहीं पूरे तीन
चीकू की तो बज गयी बीन
अब क्या होगा मियाँ चीकू 
कैसे खाओगे तुम लड्डू
थोड़ा सोच के बोला चीकू 
चारों बाँट के खाएँ लड्डू
आधा आधा सबने खाया 
ख़ूब मज़ा चीकू को आया !!! 

– डॉ मनजीत राठी ( मनजीत मानवी) 
प्रोफेसर , अँग्रेजी विभाग , 
महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक

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