चौबीस घंटे में

चौबीस घंटे में


मैं जी लेता हूं खूब,
सब दु:ख-दर्द भूल जाता हूं
जब किसी बच्चे को गले लगाता हूं
उसे दुलारता हूं,
उसके साथ हॅंसते,

चौबीस घंटे में
चौबीस घंटे में

उसे गोद में उठाता हूं,
उसके साथ बच्चा बन जाता हूं,
बस उसके साथ खूब
जी लेता हूं।
मगर
मैं मरता भी हूं
खूब जल्दी
पल-पल जब यह याद करता हूं कि…
जिससे मैं इश्क हकीकी,
करता था,
हालात से हार कर
अब उसे, 
मैं प्यार नही करता हूं
मैं उसे भूला करता हूं
अब किसी से बात नही करता हूं
अब कोई काम नही करता हूं
वो अब मेरे बारे में क्या,
सोचती होगी?
उफ्फ!
अभी-अभी ह्रदय की गति 
थम गई मेरी!



– राहुलदेव गौतम

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