खामोश हसरतें
सब कुछ तो देता है खुदा
अभी मेरे गम की आरजू बाकी है
लेकिन छीन ले मेरा सब कुछ
जिस पर किसी और का हक है
छीन ले मेरी भूख
उन मासूमों को दें
जो भूख से तड़पते हैं
छीन ले मेरी प्यास
उन मासूमों को दें
जो पानी को तरसते हैं
छीन ले मेरी हंसी
उन मासूमों को दें
जो दर्द में रोते हैं
छीन ले मेरी दौलत
उन मासूमों को दें
जिनकी मासूम हसरते पूरी हो
छीन ले मेरी आंखें
जो मासूमों के हालात पर न रोती है
छीन ले मेरे कदम
जो मासूमों के कदमों को जलते हुए देखता है
छीन ले मेरा घर
उन मासूमों को दें
जो खुले आसमां में सोते हैं
छीन ले मेरे वस्त्र
उन मासूमों को दें
जो कपड़ों में ना होते हैं
छीन ले मेरी मुस्कान
उन मासूमों को दें
जिनकी किलकारियां खामोश है
छीन ले मेरी शोहरतें
जो मासूमों को गुमनाम कर देती है
छीन ले खुदा
मेरा सब कुछ छीन ले।
—राहुलदेव गौतम