तुमने कविता लिखी

तुमने कविता लिखी

क्या तुमने लिखा है मन के समंदर को।
क्या तुमने लिखा है टूटते गहन अंदर को।
लिखा क्या देह की देहरी से इतर कुछ लिख सके हो।
क्या मन की खिड़की से कुछ कह सके हो।
क्या स्त्री की उपेक्षा तुमने लिखी है
क्या बेटी की पीड़ा तुमको दिखी है।
क्या कृष्ण के कर्षण को तुमने नचा है।
क्या राम के आकर्षण को तुमने रचा है।
क्या शरद के रास में खुद को भिगोया है।
क्या फ़ाग के रंग में खुद को डुबोया है।
क्या क्रांति के स्वर तुम्हारे कानों में पड़े हैं।
सुना है सत्य के मुंह पर ताले पड़े हैं।
हर शख्स ख़ामोशी से सहमा यहाँ है
हर रात ओढ़े गहरी कालिमा यहाँ है।
क्या तुमने पीड़तों की आहों को शब्दों में उकेरा है।
सुना है चाँद पर आजकल जालिम का बसेरा है।
क्या गिद्ध की गन्दी निगाहों को तुमने पढ़ा है।
सच के मुंह पर ये तमाचा किसने जड़ा है।
अगर ये सभी तुम्हारी कविता में नहीं है।
सरोकारों से गर तुम्हारी संवेदनाएं नहीं है।
भले ही ज़माने में कितने भी मशहूर हो तुम।
सच मानो अभी साहित्य से बहुत दूर हो तुम।

यह रचना सुशील कुमार शर्मा जी द्वारा लिखी गयी है . आप व्यवहारिक भूगर्भ शास्त्र और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक हैं। इसके साथ ही आपने बी.एड. की उपाध‍ि भी प्राप्त की है। आप वर्तमान में शासकीय आदर्श उच्च माध्य विद्यालय, गाडरवारा, मध्य प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) के पद पर कार्यरत हैं। आप एक उत्कृष्ट शिक्षा शास्त्री के आलावा सामाजिक एवं वैज्ञानिक मुद्दों पर चिंतन करने वाले लेखक के रूप में जाने जाते हैं| अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में शिक्षा से सम्बंधित आलेख प्रकाशित होते रहे हैं | अापकी रचनाएं समय-समय पर देशबंधु पत्र ,साईंटिफिक वर्ल्ड ,हिंदी वर्ल्ड, साहित्य शिल्पी ,रचना कार ,काव्यसागर, स्वर्गविभा एवं अन्य  वेबसाइटो पर एवं विभ‍िन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाश‍ित हो चुकी हैं।आपको विभिन्न सम्मानों से पुरुष्कृत किया जा चुका है जिनमे प्रमुख हैं :-
 1.विपिन जोशी रास्ट्रीय शिक्षक सम्मान “द्रोणाचार्य “सम्मान  2012
 2.उर्स कमेटी गाडरवारा द्वारा सद्भावना सम्मान 2007
 3.कुष्ट रोग उन्मूलन के लिए नरसिंहपुर जिला द्वारा सम्मान 2002
 4.नशामुक्ति अभियान के लिए सम्मानित 2009
इसके आलावा आप पर्यावरण ,विज्ञान, शिक्षा एवं समाज  के सरोकारों पर नियमित लेखन कर रहे हैं |

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