Zindagi se yahi gila hai mujhe

ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे 


ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे.

अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़

तू बहुत देर से मिला है मुझे..

हमसफ़र चाहिये हुजूम नहीं.
इक मुसाफ़िर भी काफ़िला है मुझे..

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल.
हार जाने का हौसला है मुझे..

लब कुशां हूं तो इस यकीन के साथ.
कत्ल होने का हौसला है मुझे..

दिल धडकता नहीं सुलगता है.
वो जो ख्वाहिश थी, आबला है मुझे..

कौन जाने कि चाहतो में फ़राज़.
क्या गंवाया है क्या मिला है मुझे..

अहमद फ़राज़ (१४ जनवरी १९३१- २५ अगस्त २००८), आधुनिक उर्दू के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में गिने जाते हैं।



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