नये लेखक का संघर्ष

नये लेखक का संघर्ष

ये लेखक होने के संघर्ष की छोटी सी
आओ तुम्हें एक बानगी दिखाएं,
पहले परिचय दें प्रतिभा का अपनी
अच्छा और प्रभावी कुछ लिखकर दिखाएं।

नये लेखक का संघर्ष

पहचान बनाने को वो अपनी फिर
सब संपादकों के दरवाजे खटखटाएं,
उनमें से भी केवल कुछ सज्जन ही
इनको सही मार्गदर्शन देनें का कष्ट उठाएं।

नये लेखकों को बढ़ावा देने वाले अक्सर
पैसों की कमी से ही जूझते जाएं,
हर प्रकाशित पत्र-पत्रिका के साथ
आर्थिक मदद की वो सबसे गुहार लगाएं।

कुछ लेखक सोशल मीडिया के पटलों पर
सम्मान और प्रसिद्धि की चाह मिटाएं,
साहित्य के नाम पर कुछ ग्रुप एडमिन भी
थोक में ‘डिजिटल सम्मान पत्र’ बांटते जाएं।

लेखक के छपने की लालसा का फायदा
कुछ महानुभाव भी यहां जमकर उठाएं,
सालों साल लिखाते रहें पत्र-पत्रिकाओं में 
लेकिन भुगतान की ना कभी कोई बात चलाएं।

छपने को छटपटाती अपनी आत्मा को लेकर
कई लेखक फिर प्रकाशक की शरण में जाएं,
अपने सृजन को उसकी शर्तों में ढालकर वो
निज खर्चे पर ही प्रकाशन का चाव चुका पाए।

साहित्य को बढ़ावा देने के नाम पर ही ऐसे
कई प्रकाशक सिर्फ अपना ही व्यापार चलाएं,
अच्छा-बुरा कोई  लेखक कैसा भी लिख दे
पैसे के लिए उसे छापने को तैयार वो हो जाए।

साहित्य की उत्कृष्टता पर यहां है बाजार हावी 
कोई कैसे यहां अपने सिद्धांतों पर टिक पाए,
लम्बे समय तक संघर्ष के लिए तैयार हो जो
साहित्य-सेवा के क्षेत्र में केवल वही रुक पाए।

                                        







– जितेन्द्र ‘कबीर’

संप्रति – अध्यापक

गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश

संपर्क सूत्र – 7018558314

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