नारी : भारत की प्रगति

नारी : भारत की प्रगति – भारत की आत्‍मा

भारत की प्रगति एक ऐसी आधुनिक बाला है,
जो गिट-पिट बोलती है, चहकती है,
लरजती है, नाइट क्‍लब जाती है,
शेयर-बाजार के हिचकोले खाती है;
फ़ैशन के रैम्‍प पर,
ज़ीरो फि़गर में

पुष्पलता शर्मा

कैट-वॉक करती है,  और
रैम्‍प के पीछे जाकर
ग्‍लूकोज़ लेती है
इन्‍स्‍टेण्‍ट एनर्जी के लिए;

और भारत की  आत्‍मा
ऐसी ग्रामीण अल्‍हड़ बाला है,
जो नदी, झरनों सी बेखौफ़ अगड़ाई लेती है,
चहकती है चिडि़यों सी,
शरमाती है छुई-मुई बेल सी;
पहाड़ी झरनों पर अठखेलियों का
स्‍नान करती,
जीवन-संघर्ष के पथ पर
शारीरिक श्रम के प्रतिमान रखती;
सुडौल, सम्‍पुष्‍ट;
सशक्‍त भारत की तस्‍वीर-
 यह चलती-फिरती
‘भारतीय संस्‍कृति’  है ।।
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यह रचना पुष्पलता शर्मा ‘पुष्पी’ जी द्वारा लिखी गयी है . आपकी आपकी विभिन्‍न पत्र-पत्रिकाओं में सम-सामयिक लेख ( संस्‍कारहीन विकास की दौड़ में हम कहॉं जा रहे हैं, दिल्‍ली फिर ढिल्‍ली, आसियान और भारत, युवाओं में मादक-दृव्यों का चलन, कारगिल की सीख आदि ) लघुकथा / कहानी ( अमूमन याने….?, जापान और कूरोयामा-आरी, होली का वनवास आदि ), अनेक कविताऍं आदि लेखन-कार्य एवं अनुवाद-कार्य प्रकाशित । सम्‍प्रति रेलवे बोर्ड में कार्यरत । ऑल इंडिया रेडियो में ‘पार्ट टाइम नैमित्तिक समाचार वाचेक / सम्‍पादक / अनुवादक पैनल में पैनलबद्ध । कविता-संग्रह ‘180 डिग्री का मोड़’ हिन्‍दी अकादमी दिल्‍ली के प्रकाशन-सहयोग से प्रकाशित हो चुकी है ।

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