नौकर का उपहार

नौकर का उपहार 


सेठ जी, सेठ जी तनख्वाह दे दो. 1 महीने से ज्यादा हो गया घर पर पैसे भेजने है।
इस माह हाथ तंग है,अगले माह दूंगा।
(बेचारा नौकर रूआंसा होकर काम करने लग गया।कुछ ही देर में सेठानी आती है और कहती है )
अजी 5000 रूपये दो। वह अपने गुप्ता जी की बेटी का जन्मदिन है आज।उसके लिए उपहार लाना है और हां,आप जल्दी आ जाना शाम को।
(सेठ जी पैसे देते हुए )यह लो और हां ढंग का उपहार लाना। गुप्ता जी के घर पर बड़े-बड़े लोग आएंगे।
सेठानी – हां ठीक है 
(कुछ दिन बाद )
नौकर का उपहार
नौकर का उपहार
पापा ₹10000 चाहिए।
क्यों ?
पापा कॉलेज से ट्यूर जा रहा आगरा घूमने के लिए,मैं भी जा रहा हूं I 
अच्छा ठीक है यह लो पैसे,ध्यान से रहना वहां।
ओके डैडी 
सेठ जी ₹200 दो ।
क्यों चाहिए , काम तो कोई ठीक से करते नहीं हो बस पैसे चाहिए (सेठजी ने गुर्राकर कहा)
सेठ जी वह मेरी कमीज फट गई है,नई कमीज दिला दो।
क्या करना है तुझे नई कमीज का? कहां जाओगे पहनकर?यह है ना,यह ठीक है।वह देखो चावल बिखरे पड़े है।उनको इक्कठा करके साफ करो।
काम तो कुछ दिखता नहीं है बस पैसे।
(डर के मारे नौकर वहां से हट गया और काम में लग गया )
(कुछ दिन बाद )
राम राम सेठ जी ,
आओ  वर्मा जी, कैसे हो?
 बस ठीक हूं ।
और बताओ , आज कैसे आना हुआ?
सेठजी थोड़ी पैसों की जरूरत है।
 हां ले जाओ , आप चावलों का ग्राहक भेज रहे थे, वह क्या हुआ?
 हां वो बात हो गई है , आज शाम को आ रहा है।50 बोरी चावल देने उसको और वह भी नगद में।
( खुश होकर )अच्छा धन्यवाद वर्मा जी। आपको कितने पैसे चाहिए थे ।
50,000 
(सेठ जी वर्मा जी को पैसे दे देते हैं । आज सेठ जी खुश हैं , इतना बड़ा सौदा हुआ है तो आज मैं तनख्वाह मांग लूं तो दे देंगे , यह सोच कर नोकर सेठ जी के पास जाता है )
सेठ जी सुई धागा दो ।
क्यों क्या कर रहा है ।
चावलों की एक बोरी को चूहे ने काट दिया है , सोचा सिल दु, शाम को 50 बोरी देनी है ना।
 हां शाबाश । ध्यान से देखना कोई और तो नहीं कटी हुई है ना, चुहे हो गए हैं आजकल गोदाम में।
 देखता हूं सेठ जी ।
(कुछ देर बाद नौकर आता है)
 सेठ जी सब बोरी देख ली, सब सही है ।
ठीक है 
सेठजी पैसे चाहिए (हिचकीचाते हुए) 2 महीने हो गए हैं घर पर नहीं भेजे। मां परेशान हो रही होगी ।
(सेठ जी गल्ले में हाथ डालते हैं, नौकर खुश हो जाता है, सोचा आज तो मिल गए । )
यह लो ₹1000 हैं , आज थोड़े कम है,कुछ दिन बाद और दे दूंगा।
( बेचारा नौकर रुपए लेकर गोदाम में बैठकर रोने लगा क्या घर भेजूं और क्या खुद खर्च करूं, पैंट कमीज भी फट गई है , पांव में जूते भी नहीं है, सोचा सेठ जी की नौकरी छोड़ दूं । पर बेरोजगारी का डर की नौकरी चली गई तो क्या करूंगा । फिर सोचा कभी तो दे देंगे सेठजी । यह सोचकर आंसू पोंछकर काम में लग गया।)
(कुछ दिन बाद)
( सेठ जी के बेटे का जन्मदिन आया,सेठ जी ने खूब खर्चा किया। रंग बिरंगे गुब्बारे, तरह-तरह की मिठाइयां , 5 मंजिला केक , ओर भी न जाने क्या-क्या। नोकर ने सोचा,आज तो सेठ जी बहुत खुश है ,आज मांगा तो जरूर दे देंगे।)
बोला 
सेठ जी मां का समाचार आया है, बीमार है,पैसे चाहिए घर भेजने है। मेरे सिवा मां का कौन है जो पैसे दे।
(सेठ जी झल्लाकर )देखता नहीं कितना खर्चा हो गया है, काम तो कोई ढंग से करते नहीं हो बस पैसे याद आते है तुझे , अभी पिछले दिनों ही तो दिये थे तुमको पैसे,  ओर कहां से ला कर दु पैसे , काम तो ढंग से करता नहीं है, जब पैसे हाथ में आएंगे तो दे दूंगा।
( रोज-रोज के इस बहाने से नौकर दुखी हो गया।उसने सोचा जब इतना खर्चा करते हैं तो नौकर को पैसे क्यों नहीं दे सकते।अब पानी  नाक पर आ गया था हिम्मत करके बोला )
सेठ जी मुझे ₹100 दे सकते हो, आप के बेटे का जन्मदिन है ,  आपके बेटे को दुआ लगेगी ।)
(सेठ जी ₹100 देते हुए )-यह लो क्या करेगा ?
सेठजी किराया नहीं था मेरे पास, घर जाऊंगा और हां मेरी 2 महीने की तनख्वाह आपके बेटे के जन्मदिन पर मेरी तरफ से उपहार के रूप में रख लेना ।जय राम जी की।
( सेठजी का मुहं देखने लायक था)
– विनोद महर्षि (अप्रिय)
-सीतसर।
9772255022

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