पति -पत्नी

पति -पत्नी

जीवन जीने के लिये पति-पत्नी का एक दूसरे का सहयोग बहुत जरूरी है | बिना सहयोग के तरक्की की आशा नहीं की जा सकती है | पत्नी को पति का सहयोग करना चाहिये,जिस पत्नी के अंदर ऐसी भावना होती है उस पति
पति-पत्नी

का विकास अनवरत होता रहेगा | जीवन सरल ढंग से चलता रहेगा अन्यथा विकास की गति धीमी हो सकती है तब जीवन कुछ कष्टकारी हो सकता है | इसके लिये पति को भी पत्नी की सहयोग करना चाहिये जब दोनों का साथ बेहतर ढंग से होता है तब विकास की रफ्तार बहुत तेज होती है | पति व पत्नी एक साइकिल के दो पहिये होते हैं अगर एक पहिया पंचर है तो साईकिल चलाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है,वही हाल पति व पत्नी रूपी पहिया में एक कमजोर साबित हुआ तो विकास को चलाने में बहुत कांकर चालना पड़ सकता है | अतः आपसी समझ से जीवन की गाड़ी तेज भागती है | जिन्दगी सहीं पटरी पर होती है |

     पति को पत्नी के प्रति सहीं दृष्टिकोण रखना चाहिये | उसके आदर सम्मान में कमी नहीं आनी चाहिये | उसकी बातों को सम्मानित ढंग से सुनिये | सहीं भावों के साथ सम्मान करते हुये उसकी बातों को सुनना चाहिये | पति को पत्नी के प्रति नरम रवैया अपनाना चाहिये हँसी मजाक को भी साथ में लेकर चलना चाहिये | हँसमुख चेहरे के साथ पत्नी महोदया के साथ बात करने से ताजगी बनी रहती है और आंतरिक तनाव से मुक्ति मिलती है तथा एक दूसरे के प्रति व्याप्त आशंका का समाधान हो जाता है | जब दोनों में किसी प्रकार की कोई आशंका नहीं पनपती है तो एक सहीं समझ हमेशा जीवन पर्यन्त बनी रहती है | प्रेम मधुर से युक्त जीवन का असली आनन्द लेना है तो एक दूसरे की आलोचना से बचें तथा किसी कार्य की एक दूसरे की तारीफ समय समय पर करते रहना चाहिये | ऐसा करने से कार्य कुशलता में भारी वृध्दि होती है | एकाग्रता का भी आगमन होता है |
       पत्नी को भी पति की बातों की अवहेलना नहीं करनी चाहिये | उनका आदर सत्कार करते रहना चाहिये | बात का बतंगड़ नहीं बनाना चाहिये | मुँह नहीं फुलाये रहना चाहिये कि पति जी आयेगें मनाये तब मैं मुश्कराऊँगी | यह धारणा पत्नी को मन से निकाल कर रखना चाहिये | रूठिये ही नहीं,मनाने का सिलसिला चलेगा ही नहीं | रूठना मनाना प्रेम में चलता है लेकिन इतना न रूठे की महिनों- महिनों तक बात ही न करें | यह रिश्तों में दरार पैदा करने वाला बन जाता है | पति कहीं से थका हारा आता है तो पत्नी को तुरन्त अपनी फरमाईस नहीं करना चाहिये या घर की या बच्चों की,इन सबसे बचना चाहिये इन सारी बातों को बाद में भी बताया जा सकता है | पत्नी को पति के दिमागी बोझ को कम करने का प्रयत्न करना चाहिये ताकि आपसी रिश्तों में सकारात्मकता बनी रहे | पत्नी को सदैव प्रेम न्योछावर करते रहना चाहिये | इन्हीं सारे गुणों का पति पर असर करता है | जान छिड़कने वाली पत्नी को अक्सर पति आँखों में बिठाकर रखता है |
       पति-पत्नी को पवित्र रिश्ते रखने के लिये आपसी सुलह समझौते से ठीक ढंग से चल सकता है | एक दूसरे को समझ कर चलने से रिश्ते में खटास नहीं आता है,एक नवजीवन देने वाला होता है | एक दूसरे पर भरोसा कर जीवन की गाड़ी को आगे खींची जा सकती है,तभी यह पवित्र रिश्ता कायम किया जा सकता है,अगर इसके विपरीत पति व पत्नी की भावना होती है तो वह रिश्ता नाजुक दौर से गुजर सकता है,जो हानिकारक सिध्द हो सकता है | अतः जिन्दगी को करीब से देखिये और समस्त दुराव हटाकर पति-पत्नी को एक साथ रह कर जीवन यापन करना चाहिये ताकि जीवन मधुर बना रहे तभी जीवन के सौन्दर्य का आनन्द लिया जा सकता है और जीवन मंगलमय बनता है |
     
जयचन्द प्रजापति कक्कू’
जैतापुर,हंडिया, इलाहाबाद
मों.7054868439

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