परिचय की गाँठ कविता त्रिलोचन
परिचय की गाँठ कविता का भावार्थ व्याख्या परिचय की गाँठ त्रिलोचन कविता के प्रश्न उत्तर परिचय की गाँठ त्रिलोचन कविता का सार मूल भाव Parichay Ki Ganth
परिचय की गाँठ कविता का भावार्थ व्याख्या
योँ ही कुछ मुस्काकर तुमने
परिचय की वो गांठ लगा दी!
था पथ पर मैं भूला भूला
फूल उपेक्षित कोई फूला
जाने कौन लहर थी उस दिन
तुमने अपनी याद जगा दी।
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्तियों में कवि अपनी प्रेमिका को संबोधित करते हुए कहता है कि हे प्रियतमा ! तुमने सहज रूप से मुस्कराकर ,मुझसे परिचय बढ़ाकर मेरे साथ सम्बन्ध मजबूत कर लिए। मैं तो जीवन की राह पर अनजान राही की भान्ति भटक रहा था। मुझे प्रेम की अनुभूति का ज्ञान ही न था। मैं उपेक्षित फूल की भाँती खिला रहा किन्तु मेरी ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। परन्तु उस दिन तुमने मुस्कराकर न जाने मुझमें कौन सी तरंग जगा दी। तभी से मैं तुम्हारी याद में खोया रहता हूँ। भाव यह है कि प्रेमिका की सहज मुस्कान ने प्रेमी के ह्रदय में प्रेम की अनुभूति जगाई।
गीत कहीं कोई गाता है
गूंज किसी उर में उठती है
तुमने वही धार उमगा दी।
व्याख्या – कवि अपनी प्रेमिका को संबोधित करता हुआ कहता है कि प्रिये ! कभी कभी ऐसा भी हो जाता है कि गाता तो कहीं कोई और प्राणी है और उसकी मधुर तान किसी और के ह्रदय में गूँजने लगती है। ऐसा ही असर तुम्हारी मुस्कान ने मुझे पर किया। तुमने मेरे ह्रदय में प्रेम की भावना उपजा दी। भाव यह है कि प्रेमिका की मुस्कान ने कवि के ह्रदय में प्रेम की भावना जगा दी।
जड़ता है जीवन की पीड़ा
निस्-तरंग पाषाणी क्रीड़ा
तुमने अनजाने वह पीड़ा
छवि के शर से दूर भगा दी।
व्याख्या – कवि का कहना है कि प्रिये ! जीवन की पीडाएं मनुष्य को जड़ बना डालती हैं। बिना किसी प्रेम की तरंग के पीड़ामय जीवन जीना ऐसा ही है मानों पत्थरों की क्रीडा हो। तभी तुम अनजाने में मेरे जीवन में आ गयी। तुम्हारे सौन्दर्य के बाण ने मेरी जड़ता को दूर भगा दिया। भाव यह है कि कवि के जड़ जीवन को उसकी प्रेमिका के सौन्दर्य ने आनंद से भर दिया।
परिचय की गाँठ त्रिलोचन कविता के प्रश्न उत्तर
प्र. उपेक्षित फूल की तरह प्रेमी के ह्रदय में स्मृति की लहरें क्यों उठने लगी ?
उ. कवि पहले उपेक्षित फूल की तरह एकांत जीवन जी रहा था। सहसा उसकी प्रेयसी ने अपनी प्रेम भरी मुस्कान ने उसके साथ परिचय किया। कवि उससे प्रेम करने लगा। इसी कारण उसके ह्रदय में प्रेयसी की प्रेमभरी स्मृति की लहरें उठने लगी।
प्र. जीवन की पीड़ा को जड़ता क्यों कहा है ?
उ. जीवन के पीड़ा को जड़ता इसीलिए कहा गया है क्योंकि पीडाएं मनुष्य को निष्क्रिय और संवेदनशील बना देती है। वे उमंग पैदा करने की बजाय उमंग नष्ट कर देती हैं।
प्र. सौन्दर्य से पीड़ा का अंत कैसे हो जाता है ?
उ. सौन्दर्य में कोमलता होती है और आकर्षण होता है। इसीलिए पीड़ित व्यक्ति का मन स्वाभाविक रूप से उसकी ओर खिंच जाता है। वह उसमें खो जाता है। उसके मन में सौन्दर्य को अपना लेने की इतनी उमंगें उठती हैं कि अपनी पीडाएं भूल जाता है। अभाव नष्ट हो जाते हैं।
प्र. परिचय की गाँठ कविता में मुस्कराने का क्या प्रभाव दर्शाया गया है ?
उ. कविता में मुस्कराहट के जादुई प्रभाव का वर्णन किया गया है। कवि किसी सुंदरी की मुस्कान पाकर उस पर मुग्ध हो गया। उसके सब दुःख दूर हो गए। उसका सूना जीवन उमंग से भर उठा।
परिचय की गाँठ त्रिलोचन कविता का सार मूल भाव
परिचय की गाँठ कविता त्रिलोचन जी द्वारा लिखित प्रसिद्ध कविता है। कविता में कवि की प्रेम की प्रथम अनुभूति की ताज़ा उमंग प्रकट हुई है। शब्दों की सरलता ,सहजता और भावों की सच्चाई ह्रदय को गहराई से छू लेती है। कवि मानों अपनी प्रेमिका के प्रति धन्यवाद प्रकट करना चाहता है। प्रेमिका की सहज मुस्कान को देखकर कवि का ह्रदय भी प्रेम में मग्न हो गया है। यह अनुभूति सहज ,सादी और सच्ची होने के कारण प्रभावित करती है। कवि की जड़ता को उसकी प्रेमिका के सौन्दर्य और प्रेम ने दूर भगा दिया है। यह अनुभूति ह्रदय को चुने वाली है। कवि अपने सम्पूर्ण जीवन में उपेक्षित तथा अकेला जीवन जी रहा था। अचानक उसकी प्रेयसी ने अपनी मनमोहिनी मुस्कान से उसका ह्रदय मुग्ध कर लिया। उसका प्रेम पाकर कवि की सब जड़ता और पीड़ा हो गयी है। प्रेयसी का सौन्दर्य कवि का जादू कर गया। उस जादू ने उसके सब अभाव हर लिए।