स्वतंत्र हूँ मैं
स्वतंत्र हूँ मैं ,
विचरण करता हूँ निर्भय ही
माता के आंचल तले, बैठा हूँ मुझे डर नहीं ।
मेरे देश की माटी में, शांत हूँ प्रसन्न हूँ मैं ।।
स्वतंत्र हूँ मैं ।।
वो वीर सपूत जो सीमा पर,
दे रहे दिन रात गस्तियां,
देशप्रेम की खातिर वो मिटा देते अपनी हस्तियां ।
उनके अडिग साहस से ही तो,
देश मेरा जनतंत्र हूँ मैं
स्वतंत्र हूँ मैं ।।
कोई सीमा पर, तो कोई घर में
अलग नहीं, देश प्रेम किसी में ।
व्यस्त कर्तव्यों में भले हों,
पर देश मन से अलग नहीं किसी में ।
ज़ब बात देश की आए तो,
देश भक्ति का मन्त्र हूँ मैं
स्वतंत्र हूँ मैं ।
देश मेरा, देश पहले
मन मे तिरंगा, चले मनचले
कोई जब देश पे आंख उठाए,
देश भक्ति ज्वाला हर मन मे जले।
मैं, मै नहीं तू, तू नहीं
ये देश हमारा, हम हिंदुस्तानी
हर कोई कहे, कहने पर गर्व गर्व हूँ मैं।
स्वतंत्र हूँ मै, स्वतंत्र हूँ मैं।
– चंचल गोस्वामी
पिथौरागढ़ ,उत्तराखंड