परीक्षा में बढ़ती नकल की प्रवृत्ति पर निबंध
नकल का सहारा
धीरे -धीरे छात्रों की इस प्रवृत्ति में भी बदलाव आता जा रहा है। अब वे कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न भी याद नहीं करना चाहते हैं। परीक्षा आने पर उत्तीर्ण होने के लिए वे खुलकर नक़ल का सहारा लेते हैं। आज परीक्षार्थी परीक्षा भवन में छोटे -छोटे पर्चों पर उत्तर लिखकर ले जाते हैं ,कुंजियों या पुस्तकों की करतने ले जाते हैं। इसके अतिरिक्त आस -पास बैठे विद्यार्थियों से पूछकर या उनकी कॉपी में देखकर भी उत्तर लिख लेते हैं। कुछ तो परीक्षा से पूर्व परीक्षा भवन की दीवारों पर संभावित प्रश्नों के उत्तर लिख लेते हैं। कई छात्र तो शरीर के अंगों पर लिख ले जाते हैं। आजकल तो कुछ विद्यार्थी दादा कुंजियों और गाइडों को साथ ले जाते हैं और चाक़ू ,छुरी या पिस्तौल के बल से भी नक़ल करते हैं तो कई परीक्षार्थी कक्ष निरीक्षक को रिश्वत देकर नक़ल करते हैं। कुछ परीक्षार्थियों के मित्र परीक्षा भवन के बाहर से भी प्रश्नों के उत्तर लिखकर किसी प्रकार अन्दर पहुँचा देते हैं। पर इन बुरे कार्यों का परिणाम भी बुरा होता है। परीक्षार्थी नक़ल करते हुए पकड़े जाते हैं ,जिससे उनका भविष्य बिगड़ जाता है। इसीलिए नक़ल की इस बिमारी को रोकना चाहिए किन्तु नक़ल की यह प्रवृत्ति कैसे रोके ?
परीक्षा में नकल रोकने के उपाय
- प्रारंभिक श्रेणियों से ही नैतिक शिक्षा दी जानी चाहिए ,ताकि वे प्रारम्भ से ही सत्य के मार्ग पर चलें। इसके साथ ही नौकरियों का सम्बन्ध उपाधियों अर्थात डिग्री से न जोड़ा जाए। योग्यता के आधार पर ही व्यक्ति को सेवा कार्य में नियुक्त किया जाए।
- एक उपाय यह भी हो सकता है कि छात्रों को उन विषयों के कठिन से कठिन प्रश्न पत्र बनाकर दे दिए जाएँ तथा पुस्तकों से ही उत्तर लिखने की छूट दे दी जाए। तब वे नक़ल करने के स्वाभाविक आदत स्वतः छोड़ देंगे।
- आधुनिक शिक्षा पद्धति में विद्यार्थियों पर पुस्तकों का भी अधिक बोझा लादा गया है। छात्र सभी विषयों पर पूर्णतः ध्यान नहीं दे पाते हैं और परीक्षा के दिनों में गाइडों को लेकर प्रश्नों के उत्तर तैयार करना चाहते हैं। कुछ इन्हें याद करना कठिन समझते हैं तो कुंजियाँ आदि को ही परीक्षा भवन में ले जाकर नक़ल करते हैं। कई परीक्षार्थी यह भी नहीं जानते हैं कि प्रश्न पत्र का उत्तर क्या होगा और उसका कितना अंश लिखना आवश्यक होगा ?