पूछो ना बस क्या कयामत होती है
हर क्षण उससे बात होती है
पूछो ना बस क्या कयामत होती है
कब दिन हो पता नहीं ना जाने कब रात होती है
आंखों में हर पल जादू सा छाया
मन में प्यार की बरसात होती है
पूछो ना बस क्या कयामत होती है
हर क्षण उससे बात होती है
सुरूर इतना बिन मुलाकात
सोचो क्या होगा, जब मुलाकात होती है
पूछो ना बस क्या कयामत होती है
हर् क्षण उससे बात होती है
भावनाओं के सैलाब में ही बह जाते
यादों की कश्ती में ही हरदम सवार होती है
पूछो ना बस क्या कयामत होती है
हर क्षण उससे बात होती है
उसका साथ मानो साया बन गया
आईने में भी देख कर हरदम उससे बात होती है
पूछो ना बस क्या कयामत होती है
हर क्षण उससे बात होती है
जहां भी जाए हमसफर वो बन गया
जेहन में भी अब उसके लिए आरजू होती है
पूछो ना बस क्या कयामत होती है
हर क्षण उससे बात होती है
सांसो में शामिल है मानो हवा बन गया
(शयन) निंद्रा भी अब साथ होती है
पूछो ना बस क्या कयामत होती है
हर क्षण उससे बात होती है