बिशन की दिलेरी पाठ 15 हिंदी class 5th

Bishan Ki dileri बिशन की दिलेरी

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बिशन की दिलेरी Summary Class 5 Hindi बिशन की दिलेरी पाठ का सारांश

बिशन की दिलेरी पाठ या कहानी में लेखिका प्रतिभा नाथ जी ने बेज़बान पक्षियों की सुरक्षा का विषय उठाया है | 
इस कहानी के अनुसार, दस वर्षीय बिशन सुबह घर से बाहर निकला था | वह रोज इसी समय कर्नल दत्ता के फार्म हाउस पर उनकी पत्नी से पढ़ने जाता है | 
यकायक उसे गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी |  थोड़ी ही देर बाद दो-तीन गोलियाँ एकसाथ चलीं |  गोलियों की आवाज़ से पूरी घाटी गूंज रही थी | बिशन डर गया और पेड़ों के पीछे छिप गया | वह सोच ही रहा था कि गोली किसने और क्यों चलाई होगी कि तभी एक और गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी | अब बिशन को गोली चलने की वजह समझ में आने लगा था | जब फसल पक जाती है, तब गेहूँ के खेतों में दाना चुगने तीतरों का झुंड आया करता है | शिकारी इस बात को जानते हैं, इसलिए तीतरों का शिकार करने चले आते हैं हर वर्ष और खेतों में दाना चुगते तीतरों को मारने के लिए उन पर गोली चलाते हैं | बिशन दुखी हो गया | वह जान गया कि शिकारी ही तीतरों पर गोलियाँ चला रहे हैं | तत्पश्चात् वह वहाँ से निकलकर खेतों के किनारे-किनारे चलने लगा | चलते-चलते उसने शिकारियों को सबक सिखाने का निर्णय ले लिया | तभी उसकी नज़र एक घायल तीतर पर पड़ गई | उसने स्वेटर उतारकर तीतर पर डाल दिया और जब वह स्वेटर में फँस गया तो उसे पकड़ लिया | 
बिशन ने ज़ख़्मी तीतर को अपने सीने से लगाया और तेजी से पहाड़ी की ओर दौड़ पड़ा, ताकि किसी शिकारी की नज़र उस पर न पड़े | लेकिन जिस बात का उसे भय था वही हुआ | वह कुछ ही दूर गया होगा कि पीछे से किसी की भारी आवाज़ सुनाई दी — 
“लड़के, रुक जा, नहीं तो मैं गोली मार दूंगा |” 
बिशन का दिल जोर से धड़कने लगा | डर के बावजूद उसने आगे बढ़ना जारी रखा | शिकारी गुस्से में चिल्ला रहा था — 
“मैं तुझे देख लूंगा, तू मेरा शिकार चुराकर नहीं ले जा सकता |” 
बिशन को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था, ताकि शिकारियों से पीछा छूट सके | इसलिए उसने खेतों के छोटे रास्ते,
बिशन की दिलेरी
बिशन की दिलेरी

जो काँटेदार झाड़ियों से भरे थे, वहाँ से जाना उचित समझा | बहुत संभलकर चलने के बावजूद उसके हाथ-पैर पर काँटों की बहुत-सी खरोंचें उभर आईं थीं | बिशन किसी तरह कर्नल दत्ता के फार्म हाउस के अंदर पहुँच ही गया | वहाँ फार्म हाउस में सन्नाटा पसरा था | अचानक कर्नल दत्ता का अल्सेशियन कुत्ता भौंकने लगा | बिशन समझ गया कि शिकारी इधर ही आ रहे हैं | उसने झट तीतर को सुरक्षित स्थान पर छिपा दिया और बाहर निकल गया और शिकारियों की नज़र से बचने के लिए खपरैल की ढलावदार छत पर चिमनी के पीछे छिपकर बैठ गया | यहाँ उसे कोई नहीं देख सकता था, लेकिन उस सब कुछ दिखाई दे रहा था |

आख़िरकार, शिकारी कर्नल दत्ता के नजदीक पहुँच ही गए | उन्होंने कर्नल साहब से कहा कि अभी-अभी एक लड़का हमारे शिकार तीतर को लेकर आपके यहाँ छिपा है, हम उसे ही तलाश रहे हैं | कर्नल साहब को गुस्सा आया | उन्होंने शिकारियों को कड़ी आवाज़ में डाँटते हुए कहा —-
“कैसे हो तुम लोग, हर साल आकर इतने तीतर मार डालते हो !  कुछ को खा लेते हो, और बाकी को घायल करके, यहाँ तड़प-तड़पकर मरने के लिए छोड़ जाते हो, जब फ़सल कटती है तब ढेरों मरे हुए तीतर मिलते हैं |”
कर्नल दत्ता की बात सुनकर दोनों शिकारी घबरा गए | कर्नल दत्ता यहीं नहीं रुके, बल्कि उन्होंने आगे भी अपना गुस्सा जारी रखते हुए कहा —– 
“पक्षियों को मारने और उससे ज्यादा उन्हें घायल करके छोड़ जाने में तो कोई बहादुरी नहीं है | अब तुम दोनों यहाँ से जा सकते हो | यहाँ कोई तुम्हारा तीतर-वीतर नहीं है | अब जाते क्यूँ नहीं, खड़े क्यूँ हो…|”
बिशन चिमनी के पीछे से सब देख-सुन रहा था |  शिकारियों के जाते ही वह घायल तीतर को लेकर घर की मालकिन (कर्नल दत्ता की पत्नी) के पास ‘बहूजी ! बहूजी!’ पुकारते हुए पहुँच गया | कर्नल साहब भी वहाँ पहुँच जाते हैं | फिर दोनों ने मिलकर तीतर का उपचार किया | कर्नल साहब की पत्नी ने उसे दलिया खिलाया | फिर बिशन भी हँसता हुआ, हिरन की तरह छलाँगे लगाता हुआ तीतर को लेकर अपने घर चला जाता है…|| 

बिशन की दिलेरी कहानी का उद्देश्य 

बिशन की दिलेरी पाठ द्वारा कहानीकार प्रतिभा नाथ जी ने बताया है कि पशु-पक्षी या वन्य जीव प्राणी, जो बेज़बान होते हैं, जो अपना दुःख प्रकट भी नहीं कर सकते, उनके प्रति प्रेम की भावना रखना चाहिए | ये हमारा मानवीय कर्त्तव्य है | 

बिशन की दिलेरी प्रश्न उत्तर

प्रश्न-1 “जी हाँ, हमारे पास लाइसेंस वाली बंदूकें हैं | सरपंच माधोसिंह भी हमें जानता है |” शिकारियों ने कर्नल साहब से क्या सोच कर ऐसा कहा होगा ?

उत्तर-  “जी हाँ, हमारे पास लाइसेंस वाली बंदूकें हैं | सरपंच माधोसिंह भी हमें जानता है |” शिकारियों ने कर्नल साहब से यह सोच कर ऐसा कहा होगा कि कर्नल साहब उनके साथ अपरिचितों जैसा व्यवहार न करे | ताकि तीतर को उस बच्चे से लेने में आसानी हो | 

प्रश्न-2 बिशन घायल तीतर को क्यों बचाना चाहता था ?
उत्तर- बिशन का तीतर के प्रति मानवीय व्यवहार उसकी ऊँची और नेक सोच का प्रतीक है | शिकारी मतलब के लिए तीतर पर गोलियाँ चलाते थे | कुछ को खा जाते थे और कुछ को वहीं ज़ख़्मी हालत में तड़पता छोड़ जाते थे | जब बिशन को ज़ख़्मी तीतर खेतों में तड़पता नज़र आया तो वह उसे फ़ौरन यह सोचकर अपने सीने से लगा लिया कि वह उसको नई ज़िंदगी देगा और पालेगा | अगर तीतर शिकारियों के हाथ लग जाता तो वे लोग उसे खा जाते | इसलिए बिशन घायल तीतर को बचाना चाहता था | 
प्रश्न-3 घायल तीतर को बचाने के लिए उसे किस तरह की परेशानियाँ हुई ?
उत्तर- घायल तीतर को बचाने के लिए बिशन को काँटेदार झाड़ियों के रास्ते से गुज़रना पड़ा था | वह घुटनों के बल चल रहा था, जिसके कारण उसके हाथ-पाँव में काँटे भी चुभ गए थे | वह पहाड़ियों के सख्त रास्तों पर बहुत देर तक दौड़ता रहा | उसके कपड़े भी फट गए थे | 
प्रश्न-4 इस कहानी में सेबों के खेत और सीढ़ीनुमा खेत का जिक्र आया है | अनुमान लगाकर बताओ की यह कहानी भारत के किस भौगोलिक क्षेत्र की होगी और वहाँ सीढ़ीनुमा खेती क्यों की जाती होगी ?
उत्तर- इस कहानी में सेबों के खेत और सीढ़ीनुमा खेत का जिक्र आया है | अनुमान के मुताबिक, यह कहानी उत्तर भारत के भौगोलिक क्षेत्र की होगी | चारों तरफ़ पहाड़ियों के अस्तित्व और समतल भूमि के अभाव के कारण वहां सीढ़ीनुमा खेती की जाती होगी | ऐसे क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड जैसे क्षेत्र शामिल हैं | इन क्षेत्रों में भारी वर्षा और बर्फबारी के कारण सीढ़ीनुमा खेत बनाए जाते हैं, जिससे फसलों का नुकसान न हो | 

बिशन की दिलेरी कहानी का शब्दार्थ

• ज़ख़्मी –       घायल  
• तड़के –        बहुत सुबह, भोर में 
• सहमकर –    डरकर, भययुक्त, ख़ौफजदा 
• तय किया –   निश्चित किया
• आहट –       किसी के आने की आवाज़
• खामोशी –    चुप्पी, स्तब्धता 
• अजनबी –    अनजान व्यक्ति, अपरिचित 
• रौबदार –      प्रभावशाली, कड़कदार व्यक्तित्व 
• पल्लू –        आँचल
• कामयाब –   सफल 

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