मौसम
बासंती मौसम की लाली।
धरती पर छाई हरियाली।
देखो पीली सरसों झूमे।
संग झूमे गेहूँ की बाली।
नील गगन की शोभा सुंदर।
वायु डोलती है मतवाली।
कृषक झूमते मस्ती से हैं।
गांव घरों में है खुशहाली।
दादुर मोर पपीहा बोले।
कोयल कूके काली-काली।
फागुन का है अजब नज़ारा।
मन मयूर नाचे दे ताली।
प्रकृति छटा मन को हर्षाए।
सदा सीख सिखलाने वाली।
– जितेंद्र मिश्र
लखनऊ, उत्तर प्रदेश(भारत)