बहुत दिन हो गए घर आये

बहुत दिन हो गए घर आये

बहुत दिन हो गए घर आये अब फ़ोन पे ही हाल सुनाती हूँ…
सब ठीक है सब ठीक है…बस इतना ही कह जाती हूँ

हाँ माँ सब ठीक तो है…पर कुछ ठीक सा नहीं है…
बहुत बातें मन में इखट्टा हो गयी जो आपसे कहनी है

बताना था आपको क़ि परसो खाना बनाते मेरा हाथ जल गया…
और कल तबियत ठीक नहीं थी..तो बिना खाना खाये ही चल गया

दिखाना था आपको क़ि सब कपडे अब पुराने हो गए…
जो हेयरक्लिप दिलाये थे आपने…वो कहीं खो गए

मुँह पे दाग धब्बे हैं..बालों का गिरना भी बढ़ रहा है…

ऋषिका गुप्ता
ऋषिका गुप्ता

पता नहीं कब आपसे मिलूंगी…सबकी बातें सुनके मन डर रहा है

पहली बार पता लगा घर से दूर होने का मतलब क्या है…
यहाँ सबकी बोली, खाना-पीना, रहने का तरीका सब नया है

आपसे होने वाली वीडियो कॉल में पीछे के घर का नज़ारा देखती हूँ…
दीवारों पे अपने लाये फोटो फ्रेम, वंदनवार और लटकन ढूंढ़ती हूँ

आपने सब वैसा ही रखा है ना? मेरा लगाया कुछ नहीं बदल सके…
मैंने भी आपके दिए कंजक के पैसे हैं संभाल कर रखे

कोशिश करती हूँ आपके जैसा बनने की पर बन नहीं पाती…
मुझमे आप जैसी सहनशक्ति नहीं मुझे आप जैसी कोई चीज़ नहीं आती

मैं जो भी बनाती हूँ आपके हाथ जैसा स्वाद आ ही नहीं पाता…
आजकल रोज़ आपके हाथ के खाने का सपना है आता

क्या अब भी आप मेरी पसंद का परांठा, मीठी ब्रेड और भिंडी बनाते हो?
क्या अब भी शाम ढलते ही आप सबसे पहले बाहर की लाइट जलाते हो?

क्या अब भी आप सुबह सुबह भजन गाते हो?
क्या अब भी काम करते हुए पुराना रेडियो चलाते हो?

क्या अब भी पापा सुबह ताम्बे के लोटे में ही पानी पीते हैं?
क्या अब भी घर के अंदर चप्पल लाने पर चिढ़ते हैं?

क्या मेरा कमरा वैसा ही है जैसे मैंने छोड़ा था?
वो पर्स ठीक है जो मैंने जोड़ा था?

क्या अब भी आप बाज़ार से लाने का सामान पर्ची पे लिखते हो?
क्या अब भी आप अलमारी के ड्रावर में सिक्के रखते हो?

क्या अब भी घर में घी बनने की खुशबू आती है?
क्या अब भी माँ रात की बची दाल से अगले दिन रोटी बनाती है ?

क्या अब भी आप मेरे कमरे के शीशे में बाल बनाते हो?
क्या अब भी आप और पापा साथ में खाना खाते हो?

क्या अब भी आप तुलसी के पौधे में रोज़ पानी डालते हो?
क्या अब भी माली से फूल वाले पौधे लगवाते हो?

क्या सब्ज़ी वाला अब भी गेट पर आकर आवाज़ लगाता है?
क्या अब भी घर में 1 इंग्लिश 1 हिंदी का अखबार आता है?

क्या अब भी आप रोज़ दोपहर खाली वक़्त में चूरन की गोलियां खाते हो?
क्या अब भी आप रोज़ अलमारी में मेरा नाईट सूट तय लगाके रखते हो?

अब आप किसे डांटकर बार बार बालों में तेल लगाते हो?
किसके हाथ में बॉर्न्विटा दूध का कप और बादाम दे जाते हो?

हर बात में घर याद आता है…हर रोज़ आप सब सपने में दिखते हो
पता है मुझे – आप भी मुझे उतना ही याद करते हो

वीडियो कॉल पर पिक्चर साफ़ नहीं होती…कुछ साफ़ नहीं दिख पाता है
पर आपकी आंखों का पानी मुझे फिर भी नज़र आता है

मन तरस रहा है उस घर में …उस गली में आने को …
और आप सबको मेरा इंतज़ार करते घर के गेट पर ही पाने को

वो घर से निकलते हुए आपका आखरी बार गले लगाना
और हाथ में पैसे थामाके कहना के जल्दी आना

सब बहुत याद आता है मम्मी …ये समय जल्दी कट जाए ..
बस ..अब सच में .. बहुत दिन हो गए घर आये 

– ऋषिका गुप्ता

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