मंदिर मस्जिद गिरजाघर में सबका प्रवेश हो

हर मंदिर मस्जिद गिरजाघर में सबका प्रवेश हो सब करे अराधना 

मंदिर मस्जिद औ गिरजाघर को 
अब नहीं बनने देंगे पागलखाना!
पत्थरमार बमबाजों से मुक्त हो, 
सारे मंदिर मस्जिद इबादतखाना!
सबका ईश्वर एक है फिर क्यों 
ईश्वर का है अलग-अलग ठिकाना?
हर मंदिर मस्जिद गिरजाघर में
सबका प्रवेश हो सब करे अराधना!
जब सबके सब एक परमपिता की संतति,
फिर क्यों मठ मंदिर मस्जिद गिरजाघर में
सबकी अलग-अलग है स्थिति और दुर्गति?
क्यों पूजाघर तोड़ करते रब की बेइज्जती?
क्यों मंदिर मस्जिद गिरजाघर में पड़ता है 
पुलिस बल लगाना, प्रतिबंधित आना जाना?
क्यों अवैध हथियार से विधर्मियों को डराना?
क्यों पूजा में दिखावा व अजान में इतराना?
मंदिर मस्जिद गिरजाघर में सबका प्रवेश हो

मंदिर मस्जिद गिरजाघर गुरुद्वारा में हो

ईश्वर अल्लाह ईसा वाहेगुरु रब तेरो नाम 
सबको सन्मति दे भगवान का धुन बजाना!
मंदिर मस्जिद गिरजाघर में संग हो रामायण,
एंजिल, बाइबल, कुरान, गीता पाठ का कराना,
गुरुग्रंथ के गुरुवाणी का सिमरन कीर्तन गाना!
हम भारत के बेटे दस हजार वर्ष संस्कृतिवाले
भारतीय सांस्कृतिक एकता की बात करो ना! 
हर इबादतघर में देवी माता की जयकारा हो, 
मानव मात्र एक है भाई समझो नहीं बेगाना!
ईश्वर अवतार बुद्ध तीर्थंकर गुरुवर पैगम्बर,
सब एक हैं फिर सबमें भेदभाव क्यों जताना?
एक ही है ईश्वर का घर, एक ही सारे ईश्वर, 
नहीं किसी का डर, अगर पूजना नहीं हो तो 
फेंको नहीं किसी देवस्थल, मानव पर पत्थर,
स्वधर्मी विधर्मी को मिले जीने का सुअवसर!
आदिम पाषाण युगीन बर्बरता से अब तो उबरो,
मरो नहीं मारो नहीं आस्था पे घृणा ना उच्चारो, 
ईश्वर अल्लाह खुदा से अगर नहीं लगता है डर,
तो विज्ञान परमाणु बम खोजी मिसाइल से डरो!
धुआं-धुआं हो जाएगा, कोई काम ना आएगा,
कोई पाखंड, ईश्वर खुदा अवतार नहीं बचाएगा, 
हर तरफ मिसाइली तांडव व शव ही शव होगा,
नहीं कहीं जन्नत हूर परी अप्सरा कलरव होगा!
मानवता को बचाना है तो ईश्वर को एक करो, 
गर ईश्वर एक नहीं तो ईश्वर खुदा पे ना मरो, 
ईश्वरीय एकता से मानवता की हिफाजत होगी, 
मानव के पाखंड से बड़ा कोई खुदा होता नहीं!
ऐ ईश्वर के आराधक! खुदा के बंदे! ईसाई भाई!
कुछ ऐसा पुण्य का काम करो, जहां हिन्दुओं का 
मठ मंदिर गुरुद्वारा ना हो,मस्जिद-गिरजाघर में 
सबके ईश अराधना का प्यार भरा इंतजाम करो,
जहां न मस्जिद-गिरजा वहां मंदिर में ध्यान धरो!
इतना सा जो नहीं कर पाते वे कृपण शैतान होते, 
घर में मेहमान बुलाकर पुड़ी हलवा इफ्तार खिलाते, 
दुकान में हिन्दू मुस्लिम ईसाई को सप्रेम बिठाते,
पर मंदिर-मस्जिद में विधर्मी से विभेद क्यों करते?
ईश्वर अल्लाह खुदा रब तो एक आस्था या वहम,
सबसे बड़ा इंसानियत, नहीं अहंकारी शैतानी मन, 
मन के शैतान मारो,हृदय स्थित रब को स्वीकारो,
मंदिर-मस्जिद में ब्रह्म या भ्रम खुदा नहीं बेरहम!
– विनय कुमार विनायक,
दुमका, झारखंड-814101

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