मनहूस कोरोना

मनहूस कोरोना

रों की क्या बात करूं
मैं खुद पर ही शर्मिंदा हूं।
सिर्फ तेरी रहमत के सदके 
अभी तलक़, मैं जिन्दा हूं।
असीसें,आशीर्वाद तमाम
विपदा में आये सारे काम
स्मृति में था बस तेरा नाम
वरना तो था काम तमाम
मनहूस कोरोना

बेपरवाही के आलम में भटका

तभी लगा इक जोर का झटका
विपदा में फंसा, तो ऐसे अटका
हालात ने, अस्पताल में पटका
बड़ा दुखदायी बनकर आया
जीवन से सांसों का यूं खोना
जबरन घुस आया था जबसे
जीवन में मेरे, मनहूस करोना
सारी सावधानियों सारे नियम
मास्क, सैनीटाईज़र, डिस्टैंस
सबकी करोना लगा गया वाट
पलट के रख दी सबकी खाट
झकझोर के रख दिया था
एक पल में उसने मुझको
संकट के विकट समय में
केवल याद किया तुझको
टूट जाने को थी तत्पर 
मेरी सांसो की बागडोर, 
दिखती ना थी राह तब
ना ही दिखती कोई छोर
तेरी कृपा की बदौलत ही
मुसीबत ने किया किनारा
तभी मनहूस करोना हारा
और पाई जिन्दगी दुबारा
विपत्ति की घड़ियों में
अपनों की भाग दौ़ड़ 
लेकर आई नया मोड़
ग़म मिट गये जब सारे 
दुख के पल कटे हमारे
जब तक नहीं होती
यह महामारी खतम 
बरतें पूरी सावधानी 
लगाऐं मास्क हरदम
जब होगा करोना का अंत
तभी मिलेगी खुशी बेअंत 
पर जाने कब छुटकारा होगा
कब मिटेगा संक्रमण का रोना
जाने किस दिन जाएगा 
दुनिया से यह मनहूस करोना ? 

– प्रभजीत सिंह 

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