मन में मधुमास आ गया

मन में मधुमास आ गया 

मेरे उर अन्तस्थल को , जब से स्नेह मिला है तेरा  ।
पतझड़ से नीरस मन में मधुमास आ गया ।
बिखर रहीं थीं मन की लड़ियाँ ,
                     तुमनें उन्हें पिरो डाली ।
जिससे पहुँचूं स्नेह लक्ष्य तक ,
               पथ आलोकित कर डाली ।।


मन में मधुमास आ गया

अब जीवन लय संगीत बनेगा , मन में यह विश्वास आ गया ।।1।। पतझड़…..
रूप प्रभा की ज्वाला प्रेयसि ,
              मन में इस तरह फैल रही है ।
जैसे गीत ज्ञान की गंगा में ,
              कविता अविरल तैर रही है ।।
जो बिखर चला था जीवन में , वह सब मेरे  पास आ गया ।।2।। पतझड़…….
हृदय प्रदेश के खाली पन में ,
                  यादों के पौध लगा डाली ।
उर्वरक डाल कर संवादों की ,
          कलियों को कुसुम बना डाली ।।
इस उपवन के सुगन्ध से , मेरे छन्दों में अनुप्रास आ गया ।।3।। पतझड़…….
चाँदनी सुशोभित मस्तक प्रेयसि ,
                   नयनों में प्रश्न घूमते सारे ।
जगमगा रहे हैं नव यौवन में ,
                    तेरे सूरज चाँद सितारे ।।
सपनों की छाया मे अरी सुनयने ! , अब तेरा आकाश आ गया ।।4।।
     पतझड़ से मन में मधुमास आ गया

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रचनाकार —  पंडित रूद्र नाथ चौबे    ( ” रूद्र ” )  सहायक अध्यापक पूर्व माध्यमिक विद्यालय रैसिंह पुर , शिक्षा क्षेत्र- तहबरपुर , जनपद- आजमगढ़ ( उत्तर प्रदेश )

ग्राम- ददरा , पोस्ट- टीकपुर , जनपद-आजमगढ़ ,उत्तर प्रदेश ( भारत ) 

सम्पर्क सूत्र- 9450822762

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