महत्व परिवार का
ऐ मानव!
मत सोचो
आगे क्या होगा?
बस आगे बढ़ते जाओ
अपने कर्म के बलबूते,
आसमां छूने को
कूद पड़ो समर में
पर , पूरी ईमानदारी से,
एक दिन ऐसा आएगा
तेरा पग चूमने को
मंजिल खड़ी मिलेगी सामने
तब एहसास खुशी का
दामन थामेगा
कर देगा तन-मन
रोमांच से भरपूर ।
ऐ मानव!
जरा सुन लो!
खुशी में झुमना जरूर
नाचना चाहो नाच लेना,
पर खुशी में तुम
मदहोश मत होना,
नहीं तो धीरे-धीरे अहं
थामने लगेगा तेरा साथ,
तब एक दिन हो जाओगे
अर्श से फर्श पर
तब सारी मेहनत
बेकार साबित होगी,
खुद की गलती
समझ न पाओगे
दूसरों के मत्थे थोपोगे
अपनी गलतियों का सारा दोष
तो धीरे-धीरे
तेरे आसपास
जो साथ निभाया
तेरी इस बेरूखी से
छुड़ाने लगेंगे अपना दामन
तब अकेले पड़ जाओगे
जीवन के समर में।
इसलिए, हे मानव!
जैसे बढ़े मंजिल पाने को
पूरी ईमानदारी से
वैसे ही
आसमां छूने पर
अपनों का भी साथ
निभाना ईमानदारी से,
तभी असल सफलता की
खुशी का एहसास होगा
क्योंकि किसी भी समर में
विजय पाने का
यही असल हथियार है
जो अपना पूरा परिवार है।
रचनाकार परिचय
रेणु रंजन
(शिक्षिका )
रा0प्रा0वि0 नरगी जगदीश ‘यज्ञशाला’
सरैया, मुजफ्फरपुर (बिहार)
मो0 नंबर – 9709576715