मेरे प्यार में कमी रही

मेरे प्यार में कमी रही

जाने मेरे प्यार मे कहा कमी रही , 
हर पल मेरी आँखों मे नमी रहीं ।
प्यार
अहसास मुझको अब हुआ ये सनम , 
कदमों तले मेरे नहीं जमी रही ।
रोशनी की बेशक तुम्हें चाहत ना हो , 
दिल की लौ रोशन किए बैठी रही ।
फूलों के संग कांटें मुझको भी मिले , 
मेरे लबों पर क्या शिकायत रही ।
कदमों के तेरे फासले बढ़ते गए ,
और मैं वहीं पर खड़ी रही ।
काँच के टूटे सभी जब महल , 
फूस की झोपड़ी बनी रही ।
प्रीत मेरी झूठी ना सांची सनम , 
मेरे दिल मे तो इबादत ही रही ।

यह रचना पुष्पा सैनी जी द्वारा लिखी गयी है। आपने बी ए किया है व साहित्य मे विशेष रूची है।आपकी कुछ रचनाएँ साप्ताहिक अखबार मे छप चुकी हैं ।

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