तक्षशिला विश्वविद्यालय

तक्षशिला विश्वविद्यालय 


तक्षशिला विश्वविद्यालय taxila university in hindi takshila vishwavidyalaya  तक्षशिला विश्वविद्यालय  प्राचीन काल में तक्षशिला शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था।यह हिन्दू तथा बौद्ध संस्कृति का केंद्र था जहाँ सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी और शिक्षक भारत के कोने कोने से और एशिया के देशों से आते थे।अपने विशाल वैभव के दिनों में तक्षशिला को अनेक विदेशी आक्रमणों के निर्मम प्रकार सहने पड़े थे।इसकी प्रसिद्धि कुषाण शासन के अंत तक रही।इसके बाद धीरे धीरे इसकी अवनति होती गयी।पाँचवी शताब्दी के अंत में जब फाहियान भारत आया तो उसे समय शिक्षा केंद्र के रूप में तक्षशिला का द्वीप बुझ चुका था।सातवीं शताब्दी में ह्वेनशांग ने इस शिक्षा केंद्र को देखकर अत्यधिक दुःख प्रकट किया।  

शिक्षा का प्राचीन केंद्र 

ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर तक्षशिला को भारत का सबसे प्राचीन केंद्र कहा जाता है। यह पंजाब के
तक्षशिला विश्वविद्यालय
तक्षशिला विश्वविद्यालय

रावलपिंडी नगर के पश्चिम दिशा में लगभग २० मील की दूरी पर स्थित तक्षशिला गंधार प्रदेश की राजधानी थी। भारत की उत्तरी पश्चिमी सीमा पर स्थित होने के कारण इस पर अनेक आक्रमण हुए।राजनैतिक परिवर्तनों के कारण शिक्षा के स्वरुप में भी परिवर्तन आता रहा। कहा जाता है कि जिस समय सिकंदर  ने भारत पर आक्रमण किया था ,उस समय चाणक्य इसी विश्वविद्यालय में आचार्य के पद पर था और चन्द्रगुप्त मौर्य वहां पर उसका शिष्य था।

शिक्षा प्रणाली व व्यवस्था 

तक्षशिला में पारिवारिक प्रणाली के आधार पर शिक्षा प्रदान की जाती थी। वहां कोई सुव्यवस्थित अथवा शिक्षा संस्था नहीं थी।विद्यार्थियों को शिक्षा शुल्क के अलावा भोजन तथा निवास का शुल्क देना पड़ता था। यहाँ धनी और गरीब हर प्रकार के विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करते थे। तक्षशिला उच्च शिक्षा का ही केंद्र था।अतः विद्यार्थी १६ की आयु में वहाँ शिक्षा ग्रहण करने जाते थे। विद्यार्थी प्रायः अपने आचार्यों के गृहों पर ही रहा करते थे।धनी विद्यार्थियों से निवास शुल्क भी लिया जाता था।  

शिक्षा के विषय 

तक्षशिला में उच्चस्तरीय विषयों का अध्ययन कराया जाता था।उसमें प्रमुख विषय थे – वेदचर्या ,वेदांत ,व्याकरण ,आयुर्वेद ,ज्योतिश ,कृषि ,व्यापार ,तर्कशास्त्र इत्यादि। व्याकरण के जनक पाणिनि तथा प्रसिद्ध चिकित्सा और शल्य विशेषज्ञ जीवक यहाँ की उपज थे।सुप्रसिद्ध राजनीतिज्ञ चाणक्य तथा अर्थशास्त्र के रचयिता कौटिल्य तथा प्रसिद्ध भारतीय सम्राट चन्द्रगुप्त और पुष्यमित्र से सभी यहाँ के विद्यार्थी थे।यह शिक्षा केंद्र भारतीय और ग्रीक युद्धकला के प्रशिक्षण के लिए भी प्रसिद्ध था।विषयों के चयन में वर्ण व्यवस्था अधिक नहीं थी। 

उच्चस्तरीय व्यवस्था 

निर्विवाद रूप से तक्षशिला प्राचीन भारत का सर्वाधिक महत्वपूर्ण शिक्षण केंद्र था तथा लगभग १००० वर्षों तक इसकी ख्याति देश विदेश में व्याप्त रही।पाँचवी सदी के मध्य बर्बर हूणों ने इस शिक्षा केंद्र को विध्वंश करके मिट्टी में मिला दिया। 

You May Also Like