युद्ध की भयावहता पर निबंध | Essay on Horrors of War in Hindi

युद्ध की भयावहता पर निबंध

युद्ध की भयावहता पर निबंध युद्ध की विभीषिका पर निबंध – कुछ दिनों पहले मैंने एक फिल्म देखी थी जिसमें युद्ध की भयावहता दर्शायी गयी थी। यह एक ऐसे वीर सैनिक की कहानी थी जिसने मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। फिल्म देखने के बाद मेरा मन दुखी हो गया और मैं युद्ध और युद्ध से होने वाले भयावह परिणामों के बारे में सोचकर व्यथित हो गया। 

राष्ट्रों की लड़ाई 

मानव सदियों पहले सभ्य बन गया था और आज भी है। उसने सुख शान्ति के साथ जीना सीखा है। प्रकृति द्वारा

युद्ध की भयावहता पर निबंध | Essay on Horrors of War in Hindi

प्रदान किये गए संसाधनों का उपयोग करके उसने अनेकों चीज़ों की खोज की है और आविष्कार किये हैं। किन्तु वह अपनी इच्छाओं पर ,धन और शक्ति के लिए अपने लोभ पर आज भी विजय प्राप्त नहीं कर सका है। इसी कारण से वह अपने पड़ोसियों से लड़ता – झगड़ता रहता है और यही आगे चलकर राष्ट्रों की लड़ाई अथवा युद्ध में परिवर्तित हो जाता है। 

बीसवीं  शताब्दी में दो विश्व युद्ध लड़ें गए।युद्ध की भयावहता के कारण प्रथम विश्व युद्ध में ही अस्सी लाख सैनिकों और सत्तर लाख नागरिकों की मौत हुई थी। प्रत्येक युद्ध में हजारों सैनिक मारे जाते हैं। जब गाँवों और शहरों पर आक्रमण किये जाते हैं तो आम आदमी भी मारे जाते हैं। हजारों घर और संपत्ति नष्ट हो जाती है। बहुत से लोगों को शत्रु पक्ष के सैनिकों द्वारा उनकी जमीन पर कब्ज़ा कर लिए जाने पर दूसरी जगह भागना पड़ता है। वे दूसरों के यहाँ शरण लेते हैं। इन्हें शरणार्थी कहा जाता है। 

विकास का पहिया

युद्ध की भयावहता के कारण जो देश युद्ध लड़ते हैं उन्हें हथियारों और युद्ध सामग्री पर भारी धनराशी खर्च करनी पड़ती है। इससे इन देशों की अर्थ व्यवस्थाओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है। चीज़ों के दाम बहुत बढ़ जाते हैं ,विकासपरक परियोजनाओं ठप पड़ जाती है और इस प्रकार प्रगति और विकास का पहिया रुक सा जाता है। 

प्राचीन काल में बर्बर जनजातियों के लोग जिन गाँवों से होकर गुजरते थे वहाँ खूब लूटपाट और बर्बादी मचाते थे। किन्तु वे सभ्य नहीं होते थे। किन्तु आज हम शिक्षित हैं ,लेखकों और चिंतकों ने हमें जीने का सही मार्ग दिखाया है। यदि दुनिया के देश शान्ति और सौहार्द्र के साथ नहीं रह सकते हैं तो हम हिंसक जानवरों के समान माने जायेंगे और हमें सभ्य नहीं कहा जा सकता है। 

You May Also Like