मैं चुप रहूँगा क्योंकि मैं एक शिक्षक हूँ
सुशील कुमार शर्मा |
आज
शिक्षक दिवस है लेकिन में चुप रहूँगा,क्योंकि मैं शिक्षक हूँ। मैं उस
संवर्ग की इकाई हूँ जो सत्य का विस्तार करती है ,जो अपना खून जल कर देश के
भविष्य को सँवारती है। मैं उस चरित्र का हिस्सा हूँ जिसके बारे में आचार्य
चाणक्य ने कहा था की निर्माण और प्रलय उसकी गोद में पलते हैं।आज मैं चुप
रहूँगा क्योंकि मेरे दायित्व बहुत विस्तृत हैं। समाज को मुझसे अनंत
अपेक्षाएं हैं। भारत के विकास का वृक्ष मेरे सींचने से ही पल्लवित होगा।
माता पिता सिर्फ अस्तित्व देते हैं उस अस्तित्वको चेतनामय एवं ऊर्जावान मैं
ही बनाता हूँ।
आज मैं चुप रहूँगा क्योंकि में विखंडित हूँ। मेरे अस्तित्व के इतने टुकड़े
कर दिए गए हैं कि की उसे समेटना मुश्किल हो रह है। हर टुकड़ा एक दूसरे से
दूर जा रहा है। इतने विखंडन के बाद भी में ज्ञान का दीपक जलने तत्पर हूँ।
आप जो भी कहना चाहते है जरूर कहें। आप कह सकते हैं की मैं काम चोर हूँ।
आप कह सकतें है की मैं समय पर स्कूल नहीं आता हूँ। आप कह सकतें हैं की
पढ़ाने से ज्यादा दिलचस्पी मेरी राजनीति में है। आप कह सकतें कि मैं
शिक्षकीय गरिमा में नहीं रहता हूँ मेरे कुछ साथियोँ के लिए आप ये कह सकतें
हैं ,लेकिन मेरे हज़ारों साथियों के लिए आपको कहना होगा की मैं अपना खून
जला कर भारत के भविष्य को ज्ञान देता हूँ। आप ये भी अवश्य कहें की अपनी
जान की परवाह किये बगैर मैं अपने कर्तव्यों का निर्वहन करता हूँ। आपको कहना
होगा कि मेरे ज्ञान के दीपक जल कर सांसद ,विधायक,कलेक्टर, एसपी ,एसडीएम
,तहसीलदार डॉक्टर ,इंजीनियर ,व्यापारी, किसान बनते हैं। लेकिन मैं चुप
रहूँगा क्योंकि मैं शिक्षक हूँ।
के दिन शायद आप मुझे शायद सम्मानित करना चाहें ,मेरा गुणगान करे लेकिन
मुझे इसकी न आदत हैं न जरूरत है जब भी कोई विद्यार्थी मुझ से कुछ सीखता है
तब मेरा सम्मान हो जाता हैं जब वह देश सेवा में अपना योगदान देता है तब
मेरा यशोगान हो जाता है।
शायद तंत्र व समाज की प्राथमिकता न रही हो लेकिन वह शिक्षक की पहली
प्राथमिकता थी है एवं रहेगी। साधारण शिक्षक सिर्फ बोलता है ,अच्छा शिक्षक
समझाता है सर्वश्रेष्ठ शिक्षक व्याहारिक ज्ञान देता है लेकिन महान शिक्षक
अपने आचरण से प्रेरणा देता है।
देश में शिक्षक का सम्मान नहीं होता वह देश या राज्य मूर्खों का या
जानवरों का होता है आज भी ऑक्सफ़ोर्ड विश्व विद्यालय के चांसलर के सामने
ब्रिटेन का राजा खड़ा रहता है। शिक्षक को सम्मान दे कर समाज स्वतः सम्मानित
हो जाता है। लेकिन मैं आज चुप रहूँगा।
यह रचना सुशील
कुमार शर्मा जी द्वारा लिखी गयी है . आप व्यवहारिक भूगर्भ शास्त्र और
अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक हैं। इसके साथ ही आपने बी.एड. की उपाधि भी
प्राप्त की है। आप वर्तमान में शासकीय आदर्श उच्च माध्य विद्यालय,
गाडरवारा, मध्य प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) के पद पर कार्यरत
हैं। आप एक उत्कृष्ट शिक्षा शास्त्री के आलावा सामाजिक एवं वैज्ञानिक
मुद्दों पर चिंतन करने वाले लेखक के रूप में जाने जाते हैं| अंतर्राष्ट्रीय
जर्नल्स में शिक्षा से सम्बंधित आलेख प्रकाशित होते रहे हैं | अापकी
रचनाएं समय-समय पर देशबंधु पत्र ,साईंटिफिक वर्ल्ड ,हिंदी वर्ल्ड, साहित्य
शिल्पी ,रचना कार ,काव्यसागर, स्वर्गविभा एवं अन्य वेबसाइटो पर एवं
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।आपको विभिन्न सम्मानों से पुरुष्कृत किया जा चुका है जिनमे प्रमुख हैं :-
1.विपिन जोशी रास्ट्रीय शिक्षक सम्मान “द्रोणाचार्य “सम्मान 2012
2.उर्स कमेटी गाडरवारा द्वारा सद्भावना सम्मान 2007
3.कुष्ट रोग उन्मूलन के लिए नरसिंहपुर जिला द्वारा सम्मान 2002
4.नशामुक्ति अभियान के लिए सम्मानित 2009
इसके आलावा आप पर्यावरण ,विज्ञान, शिक्षा एवं समाज के सरोकारों पर नियमित लेखन कर रहे हैं |