यूँ ही रास्ते में चलते चलते

यूँ ही रास्ते में चलते चलते

यूँ ही रास्ते में चलते चलते मिली एक दिन तीन सहेली,,
बोली तुम इतने दोनों के बाद मिली रे ,सखी
कुछ इस तरह वो बतिया रही थी,,
मनो एक दूजे को चिढ़ा रही थी,
अशी रॉय
अशी रॉय 
पहली बोली अरी ,ओ सखी ,,क्यों तू इतने दिन नही दिखी
दूजी बोली , जाने तू मुझ से कैसे बिछड़ गई,
कैसे ये गहरी यारी पल भर में ही तिड़क गई,
मैने जो पूछा नाम उनका,,पहली बोली मै ज़िन्दगी
दूजी ने नाम बचपन बताया,,और तीसरी थी उम्र हमारी,,
ज़िन्दगी ने पूछा बचपन से” तू क्यों चली गई,
जब से तू दूर गई है, मेरी खुशियां भी चली गई,
बचपन तब तमक कर बोली ,,ये जो तेरी पड़ोसन है, यही हमारी दुश्मन है
ये बोली मुझसे चली जा तेरा यहाँ क्या काम?
अब ये तुझ संग नही रहेगी,ये तो मेरे संग चलेगी,,
ले जा तेरे खेल खिलौने, वो पारियां,गुड़िया वो रानी,
मैने कहा ‘ नही , ये है मेरी सखी ,ये मेरे ही संग रही 
मुझसे दूर कैसे ये रहेगी ,मेरे बिन कैसे ये जियेगी
वो बोली तू पागल है, अब ये हुई सायानी है, अब शुरू होगी नई कहानी है,
अब यहाँ तेरा क्या काम,,अब आएंगे इसके जीवन में नए आयाम
अरे तूने भी तो मुझे भगाया था, मुझे अपना नया जीवन दिखाया था,
क्यों अब क्यों तुझे एक पल भी आराम नही,
क्यों फिर से मुझे बुलाया है, क्यों इन खिलौनों को हाथ लगाया है
क्यों देखा मुझे इन तस्वीरों में , क्यों तूने फिर से मुझे जगाया है,
ज़िन्दगी कुछ सहम कर बोली , नही सखी, ,तुझ बिन नही है मेरा ये जीवन,
मै एक पल भी खुश नही हूँ तुझ बिन,
आजा फिर से मेरी सखी बन जा,आ फिर से मेरी तू बन जा,
बचपन मानो डर रही थी, बोली नही,फिर से तू कहीं खो जायेगी
फिर से तू उसी सखी (उम्र) की हो  जायेगी,
उम्र सब कुछ सुन रही थी ,,और दोनों पे हंस रही थी,
मुस्कुराती बोली, अब ना कोई तुम्हारा मेल,ख़त्म हो गया सारा खेल
ज़िन्दगी तू कितना दौड़ चुकी है, बचपन को कितना पीछे छोड़ चुकी है,
तब ज़िन्दगी लपक कर बोली ,अरि !ओ कलमुँही ,अरि ओ मेरी दुश्मन,
अब तो चुप बैठ आज मिला है, मुझसे मेरा बचपन
तूने मुझसे बचपन छिना बचपना न छीन सकी
मुझमे बचपना बाकी है, तब ही तो आज बचपन से मिली
अब तो हम संग रहेंगे,अब बच्चों की तरह जियेंगे,
खूब खेलेंगे, खूब घूमेंगे,बेफ़िक्रों की तरह रहेंगे,
दोस्तों ज़िन्दगी कुछ बोल रही है,,
उम्र है बहता पानी इस पानी में से जो हंस के पी लिया 
वही जी लिया ,बाकि सब कुछ है कहानी,
लोग जवानी को चुनते है मैने बचपन को चुना है
बचपन में ही लोग खुश रहते है, मैने ऐसा सुना है,,
– अशी रॉय 

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