रक्त और हमारा शरीर

रक्त और हमारा शरीर
Rakt Aur Hamara Sharir 

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रक्त और हमारा शरीर पाठ का सार summary of chapter

रक्त और हमारा शरीर ,यतीश अग्रवाल जी द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध निबंध है ,जिसमें आपने रक्त और मनुष्य जीवन के स्वास्थ्य पर विस्तार से चर्चा की है। दिव्या अनिल की छोटी बहन है। वह बचपन से ही कमजोर है ,लेकिन कुछ दिनों से उसे हर समय थकान महसूस हो रही है ,किसी काम में मन नहीं लगता है ,भूख नहीं लगती है। अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि खून की जांच करवानी चाहिए ,हो सकता है कि खून की कमी हो। जाँच के कमरे में अनिल को जान पहचान की डॉक्टर दीदी मिली। डॉक्टर ने दिव्या को खून के जांच के नमूने लिए और कल अस्पताल से रिपोर्ट मिलने की बात कही। दुसरे दिन अनिल डॉक्टर दीदी के कमरे में गया और वहां देखा कि दीदी सूक्ष्मदर्शी से एक स्लाइड की जांच कर रही है। दीदी ने बताया कि दिव्या को अनीमिया हो गया है। अनिल ने पूछा कि एनीमिया क्या होता है ,तो दीदी ने इसे जानने के लिए पहले खून के बारे में जानना होगा। यदि खून  को सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा जाए तो यह दो भाग में होते हैं – एक तरल होता है ,जिसे प्लाज्मा कहते हैं और दुसरे भाग में जिसमें लाल ,सफ़ेद और बिम्बाणु कहते हैं होते हैं। दीदी ने अनिल को स्लाइड दिखाई।
रक्त और हमारा शरीर
रक्त और हमारा शरीर 
दीदी ने बताया है कि रक्त के लाल कण बनावट में बालूशाही के जैसे होते हैं। रक्त में एक बूँद में इनकी संख्या लाखों में होती है। ये कण शरीर के लिए दिन रात काम करते हैं। सांस लेने पर साफ़ हवा से ओक्सीजन प्राप्त किया जाता है ,उसे शरीर के लिए हर हिस्से में पहुँचाने का काम इन कणों का ही है। शरीर में हर समय नए कण बनते रहते हैं ,जो नष्ट कणों का स्थान ले लेते हैं। हड्डियों के बीच के भाग मज्जा में ऐसे बहुत से कारखाने होते हैं ,जो रक्त कणों के निर्माण कार्य में लगे रहते हैं। इनके लिए कारखानों में प्रोटीन ,लौह तत्व और विटामिन रूपी कच्चे माल की जरुरत होती है। इनके लिए पौष्टिक आहार लेना पड़ता है ,जो हमें हर सब्जी ,फल दूध ,अंडा और गोश्त में उपयुक्त मात्रा में मिलते हैं। हमारे देश एनीमिया का बहुत बड़ा कारण है कि पेट में कीड़ों के हो जाने से भी रक्त की कमी हो जाती है। हमें साफ़ -सफाई का भी ध्यान रखना पड़ता है। अतः शौच के लिए हम शौचालय का ही प्रयोग करें और इधर उधर नंगे पैर न घूमें। 
रक्त के  सफेद कण हमारे शरीर के वीर सिपाही होते हैं। वे रोगों को हमसे दूर भगाते हैं। साथ ही बिम्बाणु चोट लगने पर रक्त जमाव प्रक्रिया में मदद करते हैं। बिम्बाणु रक्त वाहिका के जाले से चिपक जाते हैं और इस तरह दिवार में आई दरार भर देती है ,जिससे रक्त का बाहर निकलना बंद हो जाता है। 
रक्त के कई वर्ग होते हैं। कुछ विशेष गुणों के आधार पर चार मुख्य वर्गों में बाँट दिया जाता है। आवश्यकता के अनुसार रक्त समूह की जांच करने के बाद उसे उसी समूह की जांच करने के बाद उसे उसी तरह रक्त समूह का रक्त चढ़ाया जाता है। आपात स्थिति के लिए ब्लड बैंक बनाये जाते हैं। अट्ठारह वर्ष से अधिक उम्र के स्वस्थ व्यक्ति ही रक्त दान कर सकते हैं। एक समय में लगभग ३०० मिलीमीटर रक्त दान किया जा सकता है। यही रक्तदान किसी जरूरतमंद व्यक्ति के लिए जीवनदान बन जाता है।इसी बात पर अनिल बड़ा होने पर रक्त दान करने की बात करता है। 

रक्त और हमारा शरीर प्रश्न अभ्यास पाठ से 

प्र.१. रक्त के बहाव को रोकने के लिए क्या करना चाहिए?
उ. रक्त के बहाव को रोकने के लिए हमें उस व्यक्ति को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। डॉक्टर के पास पहुँचने से पहले उस चोट के स्थान पर कसकर एक साफ़ कपड़ा बाँध देना चाहिए। दबाव पड़ने पर रक्त का बहना बंद हो जाता है। 
प्र.२. खून को ‘भानुमती का पिटारा’ क्यों कहा जाता है?
उ. रक्त भानुमती का पिटारा इसीलिए है क्योंकि इसमें प्लम ,कुछ लाल ,कुछ सफ़ेद और बिम्बाणु (प्लेटलेट कण ) आदि आते हैं। इनकी संख्या लाखों में होती है।  
प्र.३. एनीमिया से बचने के लिए हमें क्या-क्या खाना चाहिए?

उ. एनीमिया से बचने के लिए हमें पौष्टिक आहार लेना चाहिए ,जिनमें हरी सब्जी ,फल ,दूध ,अंडा और गोश्त आदि का प्रयोग करना चाहिए। 
प्र.४. पेट में कीड़े क्यों हो जाते हैं? इनसे कैसे बचा जा सकता है?

उ. पेट के कीड़ें प्रायः दूषित जल और खाद्य पदार्थों द्वारा शरीर में आते हैं। कई कीड़ों के अण्डों की जमीन की उपरी सतह में पाए जाते हैं। इन अण्डों से उत्पन्न लार्वा त्वचा के रास्ते शरीर में प्रवेश कर आतों में पहुँच जाते हैं। इन कीड़ों से बचने के लिए हमें साफ़ -सफाई का ध्यान रखना चाहिए। खाने से पहले हाथ धोना चाहिए। शौच के लिए हम शौचालय का ही प्रयोग करें और इधर -उधर नंगे पैर न घूमें। 
प्र.५. रक्त के सफ़ेद कणों को ‘वीर सिपाही’ क्यों कहा गया है?
उ. रक्त के सफ़ेद कण हमारे शरीर के वीर सिपाही है। जब भी रोगाणु शरीर पर धावा बोलते हैं ,तो सफ़ेद कण उनसे मुकाबला करते हैं। यही सफ़ेद कण बिमारियों को शरीर के भीतर आने नहीं देते हैं। ये शरीर की विभिन्न रोगों से रक्षा करते हैं। 
प्र.६. ब्लड-बैंक में रक्तदान से क्या लाभ है?
उ. ब्लड बैंक में रक्त दान करने से यह लाभ होता है कि जरुरत पड़ने पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति को रक्त चढ़ाया जाता है ,जिससे उस व्यक्ति की जान बच जाती है। 
प्र.७. साँस लेने पर शुद्ध वायु से जो ऑक्सीजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में कौन पहुँचाता है-
सफेद कण             लाल कण
साँस नली               फेफड़े
उ. लाल रक्त कण ,सांस लेने पर शुद्ध वायु से जो ओक्सीजन प्राप्त होती है ,उसे शरीर के हर हिस्से में पहुँचाती है। 

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