लो चला मैं

लो चला मैं…

लो चला मैं…
तुम सबसे दूर
कुछ के लिये बुरा तो
कुछ के लिये अच्छा था…
लो चला मैं…

आंखें नम हो जाये तो
खुद को सम्भाल लेना…
लो चला मै
गड़डो से भरा चेहरा तो
साथ काम करने से मना कर दिया था
लो चला मैं…
पहले लोगों ने ठुकराया तो
गिरा नहीं ठहर कर चला था…
लो चला मैं…
दिल में जब जगह पायी तो
जीवन खुशियों से भर गया था…
लो चला मैं…
तुम सब से दूर 🙏🏽
किसी और दुनिया में
इक नयी दुनिया में…
अपनो से दूर
लो चला मैं…

लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झांसी…

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