शक्ति वंदना
Shakti Vandana
वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर सेवा पर उपकार में हम, निज जीवन सफल बना जावें ॥
हम दीन दुखी निबलों विकलों, के सेवक बन संताप हरें।
जो हों भूले भटके बिछुड़े, उनको तारें खुद तर जावें ॥
छल देष दम्भ पाखंड झूठ, अन्याय से निसदिन दूर रहें।
जीवन के शुद्ध सरल अपना, शुचि प्रेम सुधा रस बरसावें ।
निज आन मान मर्यादा का, प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे ॥
जिस देश जाति में जन्म लिया, बलिदान उसी पर हो जावें ॥
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