श्रावणी तीज

श्रावणी तीज 

चारो ओर घनघोर घटा है छाई 
साथ चली पवन पुरवाई
पेड़ पौधों पर भी मस्ती छाई
सब लगे झूमने बहार जो आई
झुलसाती गर्मी की भी हुई बिदाई
ठंडी – ठंडी रुत जो आई
देखो – देखो वर्षा है आई।
देखो – देखो वर्षा आई
है पैगाम खुशी का लाई 
श्रावणी तीज
श्रावणी तीज 
चारों ओर हरयाली छाई
कोयल की दे कूक सुनाई
नाच – नाच, मोर ने भी आवाज लगाई
रिमझिम – रिमझिम बारिश आई
देखो फिर पड़ा शोर सुनाई।
देखो – देखो वर्षा आई
बिजली कड़की, दी कड़क सुनाई
लगता है मुझे आवाज लगाई
आओ भिगो दिया सुनाई
टप – टप टप – टप बारिश है आई
खुशियों का आमंत्रण है लाई
देखो – देखो बारिश आई
देखो – देखो वर्षा आई
साथ त्यौहार तीज का लाई
त्यौहार उमंग उत्सव का लाई
फुव्वारे सावन की आई
चारो ओर घटा घनघोर है छाई
देखो देखो तीज है आई
चारो ओर है खुशियां छाई।
देखो – देखो तीज है आई
सावन के पड़े है गीत सुनाई
हरी – हरी चूड़ियां, हाथो में मेहंदी 
झूलों की चू – चू पड़े सुनाई
चारो ओर मीठे – मीठे पकवानों की खुश्बू है छाई
भीगा – भीगा मौसम, भीनी – भीनी खुश्बू
सावन आया, तीज है आई।

– श्रीमती अनेज तोमर,
गाज़ियाबाद, यूपी   

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