सपने
डॉ. शुभ्रता मिश्रा |
साकार न होने से क्षुब्ध वे म्लान हो गए।
बचपनों से सँवारकर रखे वो सारे सपने,
कैसे आज व्यस्तताओं के शिकार हो गए।।
माँ ने लाड़ली को सँवारने के सँजोए थे जो सपने,
कुरीतियों के खंजरों से लहूलहान हो गए।
बच गए भ्रूणों से बनी बेटियों के सपने,
अस्मिता की सुरक्षाओं के विकार हो गए।
देखते ही देखते वे विदेश को पलायन हो गए।
देश को सँवारने के शिखरोत्कर्ष के सपने
राजनीतिक विश्वासघात से तार-तार हो गए।
फिर भी मनाएंगे कि आँखों में आना न छोड़ना,
ऐसा नहीं कि आशाओं के समंदर अन्तर्ध्यान हो गए।
साकार हुए सपनों की शपथ है तुम्हें,
पूरा तो हम करके ही रहेंगे तीर चाहे कितने ही आर-पार हो गए।
डॉ.
शुभ्रता मिश्रा वर्तमान में गोवा में हिन्दी के क्षेत्र में सक्रिय लेखन
कार्य कर रही हैं । उनकी पुस्तक “भारतीय अंटार्कटिक संभारतंत्र” को राजभाषा
विभाग के “राजीव गाँधी ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार-2012” से
सम्मानित किया गया है । उनकी पुस्तक “धारा 370 मुक्त कश्मीर यथार्थ से
स्वप्न की ओर” देश के प्रतिष्ठित वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुई
है । इसके अलावा जे एम डी पब्लिकेशन (दिल्ली) द्वारा प्रकाशक एवं संपादक
राघवेन्द्र ठाकुर के संपादन में प्रकाशनाधीन महिला रचनाकारों की महत्वपूर्ण
पुस्तक “भारत की प्रतिभाशाली कवयित्रियाँ” और काव्य संग्रह “प्रेम काव्य
सागर” में भी डॉ. शुभ्रता की कविताओं को शामिल किया गया है । मध्यप्रदेश
हिन्दी प्रचार प्रसार परिषद् और जे एम डी पब्लिकेशन (दिल्ली) द्वारा
संयुक्तरुप से डॉ. शुभ्रता मिश्रा के साहित्यिक योगदान के लिए उनको नारी
गौरव सम्मान प्रदान किया गया है।