समययान पाठ का सारांश प्रश्न उत्तर

समययान – ज़ाकिर अली ‘रजनीश’

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समययान पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ  समययान , लेखक ज़ाकिर अली रजनीश जी के द्वारा लिखित है ⃒ या पाठ समय यात्रा की कल्पना पर आधारित है ⃒ प्रोफेसर यासीन समययान को लेकर इतने रोमांचित हैं कि स्वप्न में 2500 ईसवी की दुनिया की यात्रा भी कर आए ⃒ परन्तु, भविष्य की दुनिया का जो हाल उन्होंने देखा, उसे देखकर उन्हें एहसास हो गया कि वर्तमान की ज़रूरत तो कुछ और ही है ⃒ 

प्रस्तुत पाठ के अनुसार, कंप्यूट्रीकृत हॉलनुमा प्रयोगशाला के एक कोने में दो जोड़ी आँखें लगातार एक स्क्रीन पर जमी हुई थीं ⃒ लगभग आठ फिट व्यास का वह सतरंग ग्लोब अपने गर्भ में अनंत संभावनाएं छिपाए हुए था ⃒ उन्हीं संभावनाओं की तह तक पहुंचने में व्यस्त था सुपर कंप्यूटर ⃒तभी प्रोफेसर यासीन की आवाज़ गूंजी – ‘देखा विजय, हम जीत गए, समय की अबाध गति पर हमारे समययान ने विजय हासिल कर ली, अब हम समय की सीमा को चीरकर किसी भी काल, किसी भी समय में बड़ी आसानी से जा सकते हैं ⃒’ प्रोफेसर के सहायक विजय ने भी अपनी भावनाओं को प्रकट किया – ‘मुबारक हो सर, आज आपकी वर्षों की मेहनत सफल हो गई, आपका यह आविष्कार नि:संदेह मानव कल्याण में उपयोगी सिद्ध होगा’ ⃒ तत्पश्चात् प्रोफेसर यासीन अपने सहयोगी विजय के साथ अपनी यात्रा की तैयारी में व्यस्त हो गए ⃒ एक ऐसी यात्रा, जो वर्तमान से भविष्य की ओर जाती थी ⃒ एक खूबसूरत कल्पना, जो हकीक़त में बदलने जा रही थी और जुड़नेवाला था मानवीय उपलब्धियों के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय ⃒ 
समययान पाठ का सारांश प्रश्न उत्तर
समययान

उस आठ फूटे सतरंगे समययान में जैसे ही प्रोफेसर ने कदम रखा, उनका शरीर रोमांचित हो उठा ⃒ अंदर पहुँचते ही उन्होंने कंप्यूटर को चालू कर दिया ⃒ आहिस्ता से समययान धरती से आधा फिट की ऊँचाई पर उठा ⃒ उसका सतरंगा आवरण तेज़ी से घूमने लगा ⃒ सतरंगी पट्टियाँ धीरे-धीरे मिलकर सफेद हुई और फिर अदृश्य ⃒ पर अंदर सब कुछ स्थिर था ⃒ घूम रहा था तो सिर्फ समयचक्र, बड़ी तेज़ी से आगे के ओर – 2000-2050-2100-2300  ⃒ कंप्यूटर द्वारा पूर्व निर्धारित समयचक्र 2500 ईसवी पर पहुँचकर थम गया ⃒ प्रोफेसर ने कलाई घड़ी पर नज़र दौड़ाई ⃒ शाम के पाँच बजकर पच्चीस मिनट चालीस सेकंड, यानी कि मात्र दस सेकंड में ही 1900 से 2500 की यात्रा संपन्न हो गई थी ⃒ प्रोफेसर ने कंप्यूटर को बंद किया और उत्साह भरे क़दमों से दरवाजे की ओर बढ़ चले ⃒ परन्तु समययान के बाहर का दृश्य देखते ही प्रोफेसर की आँखे फटी की फटी रह गई, वह चुप हो गया ⃒ बाहर सिर्फ रेत ही रेत थी – अंगारों की तरह दहकती हुई रेत ⃒ आगे-पीछे, दाएँ-बाएँ जिधर भी नजर जाती, रेत ही रेत नजर आती ⃒ पेड़-पौधे तो दूर हरी घास का भी कहीं कोई नामो-निशान तक नहीं ⃒ प्रोफेसर यासीन आज भी दिल्ली के करोल बाग़ शहर में ही खड़े थे, परन्तु यह करोलबाग 1900 का न होकर 2500 ईसवी का था और इन दोनों के बीच जीवन और मृत्यु जितना ही फासला था ⃒ जीवन के समस्त लक्षणों से रहित धरती अपनी बर्बादी की तस्वीर चलचित्र के समान ब्यान कर रही थी ⃒ पर इस महाविनाश का जिम्मेदार कौन है – प्रकृति या स्वयं मनुष्य ? इस सवाल का जवाब खोज पाने में पूर्णतः अक्षम थे प्रोफेसर यासीन ⃒ तभी अचानक उन्हें एक चमकती हुई चीज़ सामने नज़र आई ⃒ वह वस्तु उड़नतश्तरी की भांति आसमान से उतरी और धूल के बवंडर को चीरते हुई धरती में समा गई ⃒ आशा और जीवन की मिली-जुली इस छोटी सी किरण ने प्रोफेसर यासीन का उत्साह वापस ला दिया ⃒ वे तेजी से उस स्थान की ओर चल पड़े ⃒ लक्ष्य पर टिकी निगाहें अचानक बीच में उभर आई पारदर्शी काँच की दीवार देख नहीं पाई और प्रोफेसर उससे टकरा गए ⃒ अत्यधिक श्रम से थक चुका उनका शरीर अनियंत्रित होकर जमीन पर गिर पड़ा ⃒ तभी प्रोफेसर को एहसास हुआ कि धरती की वह सतह जिसपर वे गिरे हैं, किसी धातु की बनी है ⃒ 

अचानक एम्बुलेंस जैसे आवाज़ वातावरण में गूंजने लगी ⃒ प्रोफेसर यासीन काँच के पारदर्शी केबिन में घिर चुके थे ⃒ सूर्य की तपन के कारण बाहर लपटें सी उठती हुई प्रतीत हो रही थीं ⃒ उन्हें लपटों के बीच दूर खड़ा था समययान, जिसे प्रोफेसर बेबस निगाहों से देखे जा रहे थे ⃒ तभी केबिन में चारों ओर से लाल प्रकाश फूटने लगा तथा देखते-ही-देखते प्रोफेसर स्वयं को एक जेलनुमा पिंजरे के अंदर पाया ⃒ अचानक पिंजरे के बाहर एक आदमकद रोबोट प्रकट हुआ ⃒ उसने प्रोफेसर की ओर अपनी ऊँगली से इशारा किया ⃒ लाल प्रकाश की एक तेज़ धार प्रोफेसर पर पड़ी और वे पुनः किसी अन्य स्थान के लिए ट्रांसमिट कर दिए गए ⃒ देखने में वह स्थान किसी न्यायालय के समान ही प्रतीत हो रहा था ⃒ सामने एक ऊँची कुर्सी पर जज, अगल-बगल वकील, पीछे दर्शक और मुलजिम के कटघरे में खड़े स्वयं प्रोफेसर यासीन थे ⃒ प्रोफेसर हैरान थे कि वहाँ उपस्थित सभी व्यक्ति धुप की तरह पीली चमड़ीवाले थे ⃒ उनके बाल भूरे तथा आँखें नीली थीं ⃒ यह बदलाव शायद वातावरणीय परिवर्तन का ही परिणाम था ⃒ 
जब वकील के सामने प्रोफेसर ख़ुद को मेहमान कहा तो वकील उस पर गरज उठा – ‘आप लोगों ने तो अपने वंशजों के लिए जीते जी कब्र तैयार कर दी, आज हम लोग उन्हीं कब्रों में जीने के लिए मजबूर हैं, क्या यही है आपकी दोस्ती का तोहफ़ा ?’ आगे पुनः वकील बोलता है – ‘आप इस समय जिस आदालत में खड़े हैं, वह जमीन से दस फीट नीचे की सतह पर बनी हुई है ⃒ प्रदूषण, ऑक्सीजन की कमी और सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचने के लिए इसके सिवा हमारे पास कोई चारा नहीं था ⃒ आज पृथ्वी पर वृक्षों का नामोनिशान मिट चुका है, ओजोन की छतरी विलीन हो चुकी है, समुद्रों का जलस्तर बेतहाशा बढ़ गया है और आँधी-तूफ़ान तो धरती की ऊपरी सतह पर मानो रोज की बात है ⃒ ये सब पर्यावरण से छेड़छाड़ और वृक्षों के विनाश का परिणाम है ⃒ आज हम लोग न ज्यादा हंस सकते हैं और न ज्यादा बोल सकते हैं ⃒ कृत्रिम ऑक्सीजन के सहारे हम जिंदा हैं, पर एक मशीन बनकर रह रहे हैं ⃒ हमारी इस ज़िंदगी के ज़िम्मेदार आप हैं ⃒ आप अपराधी हैं, अपराधी ! आपको सजा मिलनी ही चाहिए, सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए ⃒’  इसके बाद जज की गंभीर आवाज़ हॉल में गूँज उठी – ‘मानवीय अधिकारों की रक्षक यह अदालत मुलजिम को अपराधी मानते हुए उसे सजा-ए-मौत का हुक्म सुनाती है ⃒’ वकील की बात या इल्जाम और जज के फैसले से प्रोफेसर का मन अपराध बोध से भर गया ⃒ 
शरीर को अणुओं-परमाणुओं के रूप में विघटित कर देनेवाले भावी विस्फोट के बारे में सोचकर ही प्रोफेसर के मुँह से भय मिश्रित चीख निकल गई ⃒ भय के कारण उनकी आँखें अपने आप ही बंद हो गई थीं ⃒ किन्तु, जब उनकी आँख खुली, तो न ही वहाँ अंतरिक्ष था और न ही ब्लैकहोल ⃒ प्रोफेसर अपनी प्रयोगशाला में आरामकुर्सी अपर बैठे थे ⃒ वहीं बैठे-बैठे वे सपने देख रहे थे ⃒ पास में ही समययान खड़ा था, जो कि अपने आरंभिक चरण में था ⃒ जब विजय ने प्रोफेसर से समयचक्र की रूपरेखा तैयार होने की बात कही तो उसके जवाब में प्रोफेसर ने बोला – अभी हमें समयचक्र नहीं, बल्कि अपने समय को देखना है ⃒ अन्यथा सारा संसार जीते जी कब्र में दफ़न हो जाएगा… ⃒ ⃒ 

समययान के प्रश्नोत्तर 

प्रश्न-1 – प्रोफेसर यासीन की प्रसन्नता का क्या कारण था ? 

उत्तर- समययान के निर्माण की कामयाबी प्रोफेसर यासीन की प्रसन्नता का कारण था ⃒ 
प्रश्न-2 – समययान के बाहर का दृश्य देखते ही प्रोफेसर अवाक क्यों रह गए ? 

उत्तर- समययान के बाहर का दृश्य देखते ही प्रोफेसर की आँखे फटी की फटी रह गई, वह चुप हो गया ⃒ बाहर सिर्फ रेत ही रेत थी – अंगारों की तरह दहकती हुई रेत ⃒ आगे-पीछे, दाएँ-बाएँ जिधर भी नजर जाती, रेत ही रेत नजर आती ⃒ पेड़-पौधे तो दूर हरी घास का भी कहीं कोई नामो-निशान तक नहीं ⃒ 
प्रश्न-3 – वकील ने पर्यावरण से छेड़छाड़ के क्या परिणाम गिनाए ? 

उत्तर- वकील ने बताया कि पृथ्वी पर वृक्षों का नामोनिशान मिट चुका है, ओजोन की छतरी विलीन हो चुकी है, समुद्रों का जलस्तर बेतहाशा बढ़ गया है और आँधी-तूफ़ान तो धरती की ऊपरी सतह पर मानो रोज की बात है ⃒ ये सब पर्यावरण से छेड़छाड़ और वृक्षों के विनाश का परिणाम है ⃒ 
प्रश्न-4 – आप लोगों ने तो अपने वंशजों के लिए जीते-जी कब्र तैयार कर दी – वकील ने ऐसा क्यों कहा ? 

उत्तर- ‘आप लोगों ने तो अपने वंशजों के लिए जीते जी कब्र तैयार कर दी’ – वकील ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि प्रोफेसर यासीन के समय के लोगों ने पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान पहुँचाया था, वकील प्रोफेसर को संबोधित करते हुए कहता है कि आप इस समय जिस आदालत में खड़े हैं, वह जमीन से दस फीट नीचे की सतह पर बनी हुई है ⃒ प्रदूषण, ऑक्सीजन की कमी और सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचने के लिए इसके सिवा हमारे पास कोई चारा नहीं था ⃒ 
प्रश्न-5 – इस स्वप्न ने प्रोफेसर यासीन को क्या अहसास कराया ? 

उत्तर- इस स्वप्न ने प्रोफेसर यासीन को एहसास कराया कि अभी हमें समयचक्र नहीं, बल्कि अपने समय को देखना है ⃒ अन्यथा सारा संसार जीते जी कब्र में दफ़न हो जाएगा ⃒ 
 
प्रश्न-6 – यह पाठ हमें क्या सन्देश देता है ? 

उत्तर- यह पाठ हमें वर्तमान जीवन शैली के प्रति सचेत करता है तथा प्राकृतिक धरोहरों के प्रति ज़िम्मेदार होने का संदेश देता है ⃒ साथ ही पर्यावरण के उत्तरदायित्यों का सकारात्मक भाव हमारे अंदर भरता है ⃒ 
प्रश्न-7 – सही उत्तर पर √ लगाइए – 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
इस कहानी में किस समय की कल्पना की गई है ? (2500 ईसवी) 
प्रोफेसर साहब दौड़ते हुए किससे टकरा गए ? (काँच की पारदर्शी दीवार से) 
न्यायालय में मौजूद व्यक्तियों की क्या विशेषता थी ? (उनकी त्वचा धूप की तरह पीली थी) 
प्रोफेसर को क्या सजा सुनाई गई ? (मृत्यु देने की) 
अंत में प्रोफेसर को समझ आ गया कि – (हमें अपने समय को देखना है) √
भाषा से 
प्रश्न-8 – इन शब्दों के हिंदी पर्याय लिखिए – 

उत्तर-  निम्नलिखित उत्तर है – 
हकीकत – वास्तविकता 
ज़िम्मेदार – उत्तरदायी  
पैगाम – संदेश 
फ़ासला – दूरी 
जवाब – उत्तर 
हैरान – आश्चर्यचकित 
प्रश्न-9 – समश्रुत भिन्नार्थक शब्दों के अर्थ लिखिए – 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
अक्षय – जिसका क्षय न हो
अक्षम – असमर्थ 
कलई – असलियत की बात या वस्तु  
कलाई – हाथ का वह हिस्सा जहाँ चूड़ियाँ, कड़े पहने जाते हैं 
नियंत्रण – काबू में करना या नियम में बांधकर रखना   
निमंत्रण – किसी को दावत या बुलावा भेजना या देना 
ग्रह – खगोलीय पिंड 
गृह – घर, भवन 
प्रश्न-10 – सही मुहावरे चुनकर वाक्य पूरे कीजिए – 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
युद्ध आरंभ होते ही सैनिक शत्रुओं पर टूट पड़े ⃒ 
परीक्षा समाप्त हो जाने पर छात्र घोड़े बेचकर सो गए ⃒ 
सूर्यास्त के समय देखते-ही-देखते सूर्य आँखों से ओझल होने गया ⃒ 
उस धोखेबाज़ का तो मेरे सामने नाम न लो ⃒ 
डूबता हुआ व्यक्ति दोनों हाथ उठाकर गला फाड़कर चिल्लाने लगा ⃒ 

समययान पाठ के शब्दार्थ 

कंप्यूट्रीकृत – कंप्यूटर से सजी 
हॉलनुमा – हॉल के आकार की 
अन्तर्निहित – अपने अंदर स्थित 
तह – जड़, मूल कारण 
अबाध – बिना रुके 
निस्तब्धता – ख़ामोशी 
तार-तार कर दी – धज्जियाँ उड़ा दीं 
लगाम लगाना – नियंत्रण करना 
स्वर्णिम – सुनहरा 
स्वनिर्मित – ख़ुद बनाई हुई 
आहिस्ता से – धीरे से 
आवरण – परदा 
अवाक – चुप 
बल पड़ गए – शिकन पड़ना 
आँखें फटी के फटी रह गई – खुली रह गई 
नामो-निशान तक नहीं – कोई चिह्न न होना 
फेस मास्क – मुखौटा 
क्षितिज – जहाँ धरती और आकाश मिलते हुए दिखाई देते हैं 
बवंडर – अंधड़ 
वंशजों – वंश में उत्पन्न हुए 
मुलजिम – जिसपर कोई इल्जाम हो 
पैगाम – संदेश 
विलीन – गायब 
समकालीन – एक ही समय के 
प्रतिवाद – विरोध 
संज्ञा शून्य हो गया – कोई ज्ञान न होना 
संवृत – पूर्ण 
विघटित – तोड़ देना  .

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