पहली बूँद कविता सारांश व्याख्या अर्थ प्रश्न उत्तर

पहली बूँद – गोपाल कृष्ण कौल

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पहली बूंद कविता का सारांश 

प्रस्तुत पाठ या कविता  पहली बूँद , कवि गोपाल कृष्ण कौल जी के द्वारा रचित है | इस कविता के माध्यम से कवि कवि गोपाल कृष्ण कौल जी के द्वारा वर्षा के सौंदर्य और महत्व पर प्रकाश डाला गया है | जब आकाश से वर्षा की बूँदें गिरती हैं तो सूखी धरती को नया जीवन प्राप्त होता है | तत्पश्चात् चारों तरफ़ हरियाली ही हरियाली छा जाती है…|| 
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पहली बूंद कविता की व्याख्या अर्थ 

वह पावस का प्रथम दिवस जब, 
पहली बूँद धरा पर आई, 
अंकुर फूट पड़ा धरती से, 
नव जीवन की ले अँगड़ाई | 

धरती के सूखे अधरों पर, 
गिरी बूँद अमृत-सी आकर, 
वसुंधरा की रोमावलि-सी, 
हरी दूब, पुलकी मुसकाई | 
पहली बूँद धरा पर आई | 

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि गोपाल कृष्ण कौल जी के द्वारा रचित कविता  पहली बूँद  से उद्धृत हैं | यहाँ वर्षा ऋतु के आगमन पर धरती में आए परिवर्तन के सौंदर्य का वर्णन किया गया है | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु के आगमन से चारों तरफ़ आनंद रूपी हरियाली फैली है | वर्षा की पहली बूँद जब धरती पर आती है तो धरती के अंदर छिपे बीज में से अंकुर फूटकर बाहर निकल आता है | मानो वह बीज नया जीवन पाकर अँगड़ाई लेकर जाग गया हो | 
आगे कवि कहते हैं कि धरती के सूखे होंठों पर बारिश की बूँद अमृत के समान गिरी, मानो वर्षा होने से बेजान और सूखी पड़ी धरती को नवीन जीवन ही मिल गया हो | धरती रूपी सुंदरी के रोमों की पंक्ति की तरह हरी घास भी मुसकाने लगी तथा ख़ुशियों से भर उठी | पहली बूँद कुछ इस तरह धरती पर आई, जिसका ख़ूबसूरत एहसास और परिणाम धरती को मिला | 

पहली बूँद कविता सारांश व्याख्या अर्थ प्रश्न उत्तर
पहली बूँद कविता

आसमान में उड़ता सागर, 

लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर, 
बजा नगाड़े जगा रहे हैं, 
बादल धरती की तरुणाई | 
पहली बूँद धरा पर आई | 

नीले नयनों-सा यह अंबर, 
काली-पुतली से ये जलधर, 
करुणा-विगलित अश्रु बहाकर, 
धरती की चिर प्यास बुझाई | 
बूढ़ी धरती शस्य-श्यामला, 
बनने को फिर से ललचाई | 
पहली बूँद धरा पर आई | 

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि गोपाल कृष्ण कौल जी के द्वारा रचित कविता  पहली बूँद  से उद्धृत हैं | यहाँ वर्षा ऋतु के आगमन पर धरती में आए परिवर्तन के सौंदर्य का वर्णन किया गया है | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि आसमान में जल रूपी बादलों में बिजली चमक रही है | जैसे सागर बिजलियों के सुनहरे पंख लगाकर आसमान में उड़ रहा हो | बादलों की गर्जन सुनकर ऐसा आभास होता है कि वे नगाड़े बजा-बजाकर धरती की यौवनता को जगा रहे हैं | 
आगे कवि कहते हैं कि नीला आसमान नीली आँखों के समान है और काले बादल उन नीली-नीली आँखों की काली पुतली के समान है | मानो बादल धरती के दु:खों से दुःखित होकर वर्षा रूपी आँसू बहा रहा हो | इस प्रकार धरती की प्यास बुझ जाती है | वर्षा का प्रेम पाकर धरती के मन में फिर से हरा-भरा होने की इच्छा जाग उठी है | पहली बूँद कुछ इस तरह धरती पर आई, जिसका ख़ूबसूरत एहसास और परिणाम धरती को मिला | 
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पहली बूंद कविता के प्रश्न उत्तर 

प्रश्न-1 वर्षा की पहली बूँद से धरती की प्रसन्नता किस प्रकार प्रकट होती है ? 

उत्तर- धरती के सूखे होंठों पर बारिश की बूँद अमृत के समान गिरती है, मानो वर्षा होने से बेजान और सूखी पड़ी धरती को नवीन जीवन ही मिल गया हो |इस प्रकार वर्षा की पहली बूँद से धरती की प्रसन्नता प्रकट होती है | 
प्रश्न-2 वर्षा ऋतु में बादल कैसे दिखाई पड़ते हैं ? 

उत्तर- वर्षा ऋतु में जल रूपी बादल ऐसे प्रतीत होते हैं, जैसे सागर बिजलियों के सुनहरे पंख लगाकर आसमान में उड़ रहा हो | 
प्रश्न-3 आकाश और बादल को किसके समान बताया गया है ? 

उत्तर- प्रस्तुत कविता के अनुसार, नीले आकाश को नीली आँखों के समान है और काले बादल को उन नीली-नीली आँखों की काली पुतली के समान बताया गया है | 
प्रश्न-4 धरती को ‘बूढ़ी’ कहने का क्या तात्पर्य है ? 

उत्तर- वास्तव में, जिस प्रकार बुढ़ापे में आदमी सुस्त पड़ जाता है और उसमें उत्साह भी नहीं रहता | ठीक उसी प्रकार धरती भी ख़ूब गर्मी की वजह से सूखी पड़ जाती है | इसलिए धरती को ‘बूढ़ी’ कहके संबोधित किया गया है | 
प्रश्न-5 कौन पुनः शस्य-श्यामला होने को ललचाई है ? 

उत्तर- बूढ़ी धरती या गर्मी के कारण सूखी धरती पुनः शस्य-श्यामला अर्थात् हरी-भरी होने को ललचाई है | 
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प्रश्न-6 सही उत्तर पर √ लगाइए — 

(क)- पहली बूँद के धरा पर आने का क्या प्रभाव  पड़ा ? 
उत्तर- अंकुर फूट पड़े 
(ख)- ‘वसुंधरा की रोमावलि’ किसे कहा गया है ? 
उत्तर- हरि दूब को 
(ग)- पहली बूँद के धरा पर आने से बूढ़ी धरती के मन में क्या इच्छा उठी ? 
उत्तर- शस्य-श्यामला बनने की 
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भाषा से 
प्रश्न-7 नीचे लिखे शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए — 

उ. निम्नलिखित उत्तर हैं – 
• धरती — धरा, ज़मीन 
• सागर — सिंधु, जलधि 
• वर्षा — बारिश, बरसात 
• आकाश — नभ, आसमान 
• बादल — जलद, घन 
• नयन — आँख, नेत्र 
प्रश्न-8 शब्दों को शुद्ध करके लिखिए — 

उ. निम्नलिखित उत्तर हैं – 
• अमरित — अमृत 
• परिथ्वी — पृथ्वी 
• रितु — ऋतु 
• रिचा — ऋचा 
• हरिदय — हृदय 
• करिषक — कृषक 
प्रश्न-9 नीचे लिखे शब्दों के तत्सम रूप लिखिए — 

उ. निम्नलिखित उत्तर हैं – 
• आँसू — अश्रु 
• प्यास — पिपासा 
• सुनहरा — स्वर्णिम 
• नया — नव 
• दिन — दिवस 
• पहला — प्रथम 
प्रश्न-10 तर और तम लगाकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए — 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं – 
(क)- अधिकतर 
(ख)- उच्चतम
(ग)- न्यूनतम 
(घ)- तीव्रतम 
प्रश्न-11 दिए गए शब्दों के संधि-विच्छेद कीजिए — 

उ. निम्नलिखित उत्तर हैं – 
• पुस्तकालय — पुस्तक + आलय 
• तथापि — तथा + अपि 
• परमाणु — परम + अणु 
• शिवालय — शिव + आलय 
• महात्मा — महा + आत्मा 
• रामावतार — राम + अवतार 
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पहली बूंद कविता के शब्दार्थ 

• पावस – वर्षा ऋतु 
• अधरों – होंठों, लब 
• वसुंधरा – धरती, धरा, ज़मीन 
• रोमावलि – रोमों की पंक्ति 
• दूब – घास 
• स्वर्णिम – सोने के रंग जैसा, सुनहरा 
• तरूणाई – युवावस्था, यौवनता 
जलधर – बादल, मेघ 
विगलित – पिघली हुई 
चिर-प्यास – बहुत दिनों की प्यास 
श्यामला – हरी-भरी   | 
© मनव्वर अशरफ़ी 

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