साइकिल पर कविता Poem On Bicycle In Hindi

साइकिल पर कविता 

साइकिल मेरी प्यारी साइकिल
बहुत कुछ मुझे सिखा गई
देख कर उसको फिर मुझे
बचपन की याद आ गई

साइकिल पर कविता

गिर के संभलना ,संभल, संभल कर चलना
बात यह गहरी, एक पल में सिखा गई
तालमेल कैसे बिठाना आगे हो या पीछे
हल्का भारी का वजन मुझे समझा गई
साइकिल मेरी प्यारी साइकिल
बहुत कुछ मुझे सिखा गई

हवा से चले ,हवा से बातें करें
मेहनत की हो जीत पाठ यह पढ़ा गई
बहुत कुछ मुझे सिखा गई

पैरों को चला चला कर इसे चलाया
कदमों को कैसे बढ़ाना
ज्ञान यह दे गई
साइकिल मेरी प्यारी साइकिल
बहुत कुछ मुझे सिखा गई

तूफान हो बारिश हो हरदम साथ निभाया
इसे देखकर चलाने का हमेशा हौसला आया
कभी ना रुकने का संदेश यह दे गई
साइकिल मेरी प्यारी साइकिल
बहुत कुछ मुझे सिखा गई

टन टन घंटी बजी लय  तरन्नुम में
हैंडल से मेरी भी पहचान करवा गई
साइकिल मेरी प्यारी साइकिल
बहुत कुछ मुझे सिखा गई
देख किसको फिर

बचपन की याद आ गई

– सोनिया अग्रवाल 
प्राध्यापिका अंग्रेजी
राजकीय पाठशाला सिरसमा
कुरूक्षेत्र

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