ठेठ कहानी और ठूंठ कहानी

ठेठ कहानी और ठूंठ कहानी 

बिना कहानी के जीवन में दरअसल कुछ मजा ही नहीं। कुछ कहानी छोटी होती है और कुछ कहानी बहुत लंबी होती है ध्यान और उपाख्यान जुड़े होते हैं। कुछ कहानियां के अभिप्राय  सीधे और सरल होते तो कुछ कहानियों के अभिप्राय बहुत ही जटिल होते हैं  और परिणाम दूरगामी होते हैं।

वकील की कहानी 

एक करकेटा और एक गिलहरी में दोस्ती हो गई।बुलावे  पर  एक दिन करकेटा गिलहरी के घर गया तो  गिलहरी ने पड़ोस के दुकान से   चुपके  से  जो  भी  गजक ,  मूगफली या मेवा  ला  सकती थी ,लाकर  आवभगत की,  स्वागत में रख दी  ।शिष्टता   वश   करकेटा  ने  भी  गिलहरी  को  घर   ( पेड , जहा  वह  रहता था , )  आने  का न्योता  दिया ।गिलहरी   भी गई। वह गिलहरी के आने पर इधर से उधर , उधर  से इधर  फर्राटा  दौड़ लगाता रहा ,  लेकिन उसके पास   आवभगत   करने  को  सिवा  खाली  भागदोड  के  कुछ  नही  था ।

गिलहरी स्थिति  को  भांपकर चुपके से  वहा  से  खिसक  ली ।राजनेता की कहानी में राजनीतिक व्यंग से सराबोर,  विजय तेंदुलकर की कहानी घासीराम कोतवाल जो कि स्वार्थ सिद्धि के लिए बातें कहकर  पहले तो  झांसे में  लेता है।  दूसरा अपने स्वार्थ सिद्ध होने पर उसे  चौराहे पर लाकर  छोड़ देता है।सार्वभौमिक सत्य है जैसा शेक्सपियर ने कहा था long tome discord spoil the relationship अर्थात लंबे समय की नोकझोंक  रिश्तो   मे खटास पैदा कर देती है  यह बिल्कुल सच है  । संबंध  बनाने के लिए बहुत  समय तक धीरज रखना पड़ता है तब जाकर संबंध बनते हैं लेकिन उनको मिटा देना बहुत सहज होता है।  इसी तरह संपत्तियों को बनाने में बहुत वक्त लग जाता है लेकिन उनको मिटाने में   जरा   भी  नहीं।  जो बात व्यक्तियों के चरित्र, व्यक्तियों के खानदान और संस्थाओं के   पर लागू होती  है।मनुष्य झूठ क्यों बोलता है समाज में रहकर उसे बहुत सारे बोलने पड़ते हैं अथवा उनसे चुरानी पड़ती है। झूठ बोलने के मुख्य कारण इस प्रकार संबंध बनाए रखने की खातिर संकट की घड़ी में साथ, देने की खातिर भविष्य के लाभ को ध्यान में रखकर। लाभ के बदले लाभ की भावना पार्टी बंदी अपरिचित और अनजान की तुलना में  पडोसी  के साथ हो लेना जैसे मैं आपको बताऊं कि  कभी-कभार , कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को पीटता रहता है और  पड़ोसी जानते हुए भी ,  कई  वजह से अपने जमीर को भी दबाकर मामले में  हस्तक्षेप न करके,  उपेक्षा  करते रहते हैं।और भी हो सकता  हैं कारण,  लोग झूठ बोलने पर मजबूर हो जाते हो।

प्रोफेसर की कहानी

 कहानी

एक शरारती लड़का था तो वह अक्सर गुरु लोगों को छकाता रहता था एक बार एक प्रोफेसर  से उसने पंगा लेने का मन बनाया ।छोटा सा चिडिया  का  बच्चा अपनी हथेली के अंदर जिंदा रख छोड़ा। हथेली बंद करके  प्रोफ़ेसर से पूछा कि आप तो भविष्य और तथ्य अच्छी तरह जानते हैं। कृपया  बताये  कि  मेरी हथेली  में  एक पक्षी  है  वह जिंदा है अथवा मरा हुआ है ?सिवा  इसके  कि कि  उस  को  बचाने की  खातिर  प्रोफेसर की  बुद्धिमिनी तो यही होगी न कि वह  उसे  मरा  बताए ।  अन्यथा  हालत मे तो  वह  टेटुआ जरा सा दबाकर मार देता। उस  शिक्षक को तो  गलत साबित   होना ही है । तब किसी की जान बचाकर  एसा हो तो इससे अच्छा क्या होगा।मानस  के भी कई प्रकार के भेद होते है। कुछ मनुष्य होते ही नहीं है ।वह जानवर के बीच में दर-दर घूमते रहते,  बस आपकी पारखी नजर में उन्हें पहचानना भर आना चाहिए। कोलकाता के सभागार में जस्टिस लोढ़ा को भाषण देते हुए सुना था  कि  कमान से निकला हुआ  तीर और  जबान से निकली हुई बात कभी वापस नही आती ।बाद मे  बात बनती नहीं गांठ पड़ जाती है ।

ठेठ कहानी और ठूंठ कहानी 

ठेठ कहानी तो वह कहानी होती है जिसमें देहाती आदमी  होता,लेकिन वह समझदारी से युक्त होता है। ठून्ठ कहानी वह कहानी है जिसमें आदमी बिल्कुल समझदारी से काम नहीं लेता और दुर्बुद्धि की तरह काम  करता है।एक कन्या  की  कहानी  है , वह  14 विद्या में निपुण थी , उसके लिए वर की तलाश थी।उसका  कहना था कम से कम 14 विद्या  की जानकारी तो होनी ही चाहिए ।कोई लड़का मिलकर नहीं दे रहा था। एक लड़के ने हामी भरी कि वह  दो  विद्या नही जानता अर्थात उसके कहने से लगा  कि  वह 14 विद्या  जानता  है।लड़की से पूछा गया तो उसने कहा ठीक है । शादी  के बाद लडकी ने पूछा  कि वे 2 विद्या कौन सी है जिनको आप नही जानते । तो उसने कहा कि पहली विद्या तो यह है कि मै कुछ  नही  जानता , 2,  दूसरी विद्या यह है किसी की    कुछ मानता भी नहीं। अर्थात वह निरा गवार  आदमी था।एक के यहा  गाव मे  शादी  मे एक रेडियो  मिला था ।रेडियो में यह आ रहा था कि  चाहे बिक जाए हरो रूमाल बैठूगी मोटर कार मे   शादी  जरूर नयी थी । पर यह बातें उस आदमी को सुहा नहीं रही थी हां। तो पहली बार उसको लगा  कि कोई आदमी  इस तरह की बात करता है  ।पहले उसने मना किया कि इस तरह की बात ना करें, ऐसे   जैसे  आमने  सामने  बात हो रही हो।समझाया  कि  खेत  बिक जाऐगे।गीत जारी  रहा,जो कि रहना था , लेकिन बाद में उसने रेडियो को  ईट से  तोड़ दिया कि  बहुत देर से  किचर  मिचर सुन रहा था ।  अब बोल ?
कुछ प्रश्नों के जवाब नहीं होते।तो कुछ प्रश्न ही काल्पनिक होते है । उनका जवाब होता ही नहीं । ऐसी एक कहानी

क्षेत्रपाल शर्मा
क्षेत्रपाल शर्मा

गांव वालों की  है ,  कि बड़ी मुश्किल से  एक  लडके   की   शादी    के  लिए   पक्की  हुई ।  लडकी   वालो  की तरफ से  फिर भी यह शर्त रख दी गई कि कोई बुड्ढा बरात में नहीं आएगा   बड़ी मुश्किल से यह  बात मानते हुए अजीब  मुश्किल यह आन पड़ी कि  लड़के का नाना  अड  गया कि वह बरात में जरूर जाएगा  आखिर   यह फैसला हुआ कि उसको एक बक्से में  छिपाकर ले जाया जाए। जब लड़की वालों  का गांव कुछ  ही निकट था,  नदी किनारे बरात रोक दी गई।  इस बार, मामला अटकाने  के  लिए , लड़कीवालों  का   यह कहना था शादी अब तब होगी जब इस नदी  में   पानी की जगह दूध बहा दिया जाए । इस पर लड़के वाले घबरा गए,  बात असंभव है उन्होंने कहा फिर  इस नाना को बक्से से बाहर निकाला जाए,  शादी  तो वैसे भी नहीं होनी। जब  नाना को बाहर निकाला गया  उनसे कहा गया कि अब शादी नहीं हो रही है,  इसलिए बारात वापस लौट रही है । नाना ने पूछा ऐसा क्यों। तब जवाब आया कि इस तरह की मांग लड़की वालों की तरफ से की गई है।  नाना ने कहा कि  इतनी  छोटे बातों  पर बारात  वापस नहीं  लौटती ,  कहा कि बरात वापस  लौटाने  की कोई जरूरत नहीं,  गांव वालों से कहा जाए कि पहले वह पानी रोके ,  फिर नदी  में  दूध  बहाएंगे।लड़के  वालों की तरफ से   ये संदेश मिलने पर यह शंका प्रकट की गयी  कि   जरूर कोई बुड्ढा बरात में आया है इसलिए शादी की शर्त भंग हुई , शादी नहीं होगी।मुश्किल से बात आगे बढ़ी , तो उसी क्रम में लड़की वालों ने फिर  एन  वक्त यह मांग रख दी के भंवरे , रेत की जेवरी  से  होंगे,  इस पर उन्हीं नाना से सलाह मशविरा करके उत्तर दिया गया  कि  जेवरी के पूजे   लड़की  वालों  को सप्लाई करने होगे  करने  होंगे।कहानी देश के जीवन में  ,शहर के जीवन में ,हमारी कहानी भी साथ-साथ चल रही। 

जीवन में , कोई व्यक्ति   छोटा हो अथवा बड़ा हो , उसके  जीवन में  कई संकट आते हैं  , स्वयं का संकट  हो तो उसके निवारण के लिए शक्तिशाली आदमी हो,  वह दूसरे से  मदद की अपेक्षा करता है । मुझे एक  कहानी याद आ रही है एक आदमी था और जब  पुराने समय में एक ऊंट होना भी बड़े  होने की बात थी , तब उसके पास 17 ऊंट थे।संपन्नता विपुल थी।इसके बावजूद भी उसके तीन बेटों में  बंटवारे को लेकर जो संकट था,  वह उसकी  मृत्यु उपरांत बहुत गहरा गया।वह यह वसीयत  कर के मरा कि  एक को 1/2  और  दूसरे वाले को 1/3  ,अंतिम वाले को 1/9  हिस्सा मिलना था और वह बटवारा हो   ही  नहीं  पा  रहा था । वे आपस मे  लड़ते  झगड़ते रहते थे । आखिर में, 1 दिन पड़ोस के गांव में समझदार  आदमी के पास गए । उस आदमी ने  कहा कि मैं आपके गांव आ रहा हूं और यह समस्या निपट जाएगी। वह अपने घर से 1 ऊट  लेकर गया और उन ( 17 अंकों )में अपना ऊंट मिला दिया और बंटवारा  करके अपना ऊट   वापस लेकर चला आया।इसे गणित की भाषा में लंगडी भिन्न  के नाम से पुराने लोग जानते है ।

मेरा  सरोकार 

मेरा सरोकार सिर्फ इतना है कि मैंने भी एक सत्य घटना इस प्रकार एक मुवक्किल और उनके वकील के संबंध में सुनी थी ,वकील साहब अपने ही मुवक्किल के खिलाफ अदालत के समक्ष बोलते चले गए। मुवक्किल  ने चेताया  मेरे  वकील हो, पर   मेरे ही खिलाफ  आप  बोल रहे हो  , वकील साहब संभल गए । जो थोड़ी देर पहले अपनी दलीलें पेश की थी, अदालत के समक्ष उन्हीं को एक-एक करके काटते चले गए। समय   भी  अब  आपसे इसी तरह की हाजिर जवाबी और बुद्धिमत्ता की अपेक्षा करता है ।

नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ की डालियों पर फिर पत्तियों पर एक चींटी किलोल करते-करते आखिर में नदी की तरफ झुक रही थी उस पर होते हुए नदी में जा गिरी फड़फड़ाने लगी । जहां नदी में चींटी गिरी थी, पत्ता या  लगा ,  पत्ते पर चींटी  चढ़ गई। बहते  बहते  एक  जगह , नदी किनारे  जाकर पत्ता रुक गया ।  चींटी उतर कर,  फिर जमीन पर चढ़ गई।   जाते –  जाते  चींटी ने  जान  बचाने  के  लिए , पत्ते का  धन्यवाद  व्यक्त किया।  पत्ते ने जो उत्तर दिया,  वह ध्यान देने योग्य है।पत्ते ने कहा कि मैं तो निरुद्देश्य   बह ही रहा था,  इस  बीच आपके  आ गया तो यह मेरा सौभाग्य ।

कहानी अभी भी जारी है – 

संपर्क  – क्षेत्रपाल शर्मा
 म.सं 19/17  शांतिपुरम, सासनी गेट ,आगरा रोड अलीगढ 202001
 मो  9411858774    ( kpsharma05@gmail.com )

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