सुबह की सैर

सुबह की सैर 

सुबह की सैर
सुबह की सैर 
प्रातः काल में उगते हुए सूर्य की लालिमा , चिड़ियों की आवाज और शीतल मंद सुगन्धित समीर हमारे शरीर और आत्मा को अपनी मधुरता से भर देती है . एक नयी उमंग एवं उल्लास से मन प्रफुल्लित एवं उत्साहित होकर नए दिन की तैयारी में लग जाता है . कहा भी गया है कि अगर दिन की शुरुवात अच्छी हो तो पूरा दिन भी अच्छा निकलता है .जिसने सुबह की सैर  की आदत दाल ली मानो उसने जीवन की कला सीख ली ,शरीर को स्वस्थ रखने का मन्त्र सीख लिया ,समय के एक – एक क्षण का महत्व सीख लिया . 

प्रकृति का सानिध्य 

पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण करने वाले लोग उस प्रातःकालीन सुंदरी के सौन्दर्य को क्या जाने जिन्होंने कल – कल करते झरनों का स्वर ,फूलों का खिलना ,भौरों का गुनगुनाना ,पक्षियों का चहचहाना कभी नहीं सुना . ऐसे लोगों का जीवन निस्सार एवं शून्य है ,जिन्होंने प्रकृति का साथ कभी प्राप्त ही नहीं किया . 

प्रातःकालीन सैर से लाभ 

सुबह की सैर  से मनोमस्तिष्क ताजगी से भर उठता है ,आलस दूर भागता है ,पढ़ने में मन लगता है तथा सभी काम सुचारू रूप से नियमित समय पर पूरे होते चले जाते है .जीवन में निश्चिंतता आ जाती है और ऐसा व्यक्ति जीवन की दौड़ में आगे ही आगे रहता है ,क्योंकि जल्दी सोने और जल्दी उठने से व्यक्ति स्वस्थ ,संपन्न एवं सुयोग्य बनता है . 
हम सभी को प्रातः काल के इस सौन्दर्य का दर्शन करना चाहिए . यह तभी संभव है ,जब हम अपना आलस्य छोड़कर सुबह की सैर  के लिए घर से बाहर निकलें. इससे हमारे तन – मन दोनों स्वस्थ होंगे . 

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