हम खुद ही जलते रहते हैं

हम खुद ही जलते रहते हैं

अपना बना के देखो दामन ना छोड़ देना। 
दिल में बसने वाली ,दिल को न तोड़ देना।

जब याद तुम्हरी आती है ,दिल थाम लेता हूँ।
आंसू टपक पड़ते हैं जब तुम्हारा नाम लेता हूँ।

दुआ करती हूँ तुम्हें दुनियां की ख़ुशी नसीब हो।
अगर दुःख या कष्ट आये तो वो मेरे नसीब हो।

हम खुद ही जलते रहते हैं

नदियाँ रुक नहीं सकती ,पहाड़ चल नहीं सकते।
आप भूल सकते हैं मगर ,हम भूल नहीं सके।

गीतों को बनाया संगीत के सात सुरों ने मिलकर।
दिल के गम को भगाया तेरे खत के शब्दों ने सजकर।

दिल की निकली बात को ,मैं खत में बयान करती हूँ।
रात की तन्हाई में बस ,मैं तुमको याद करती हूँ।

आँखों से निकली अश्कों को मैं स्याही बनाता हूँ।
दिल की कलम से मैं इस खत को लिखता हूँ।

बहारों की बातें किसी गुलशन से सीखी जाती है।
दिल की बातें बस केवल ,खतों में लिखी जाती है।

तितलियाँ फूलों के बीच ,हरदम गुनगुनाती हैं।
खत में लिखी बातें मुझे मिलने को तडपाती हैं।

यूँ तो खत लिखती हूँ रोज चाहत से।
महज जबाब वो देते हैं झूठी राहत से।

राज जो इसमें छुपा है वे समझता है दिल।
कैसे खोलें तेरा खत कि धडकता है दिल।

क्या दीप जलाऊँ खुशियों का ,हम खुद ही जलते रहते हैं।
तुझे नयी दुनियाँ मुबारक हो ,बस यही दुआ करते हैं।

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