आवारा क्रांतिकारी हूँ ………..
आवारा हूँ
भूखे पेट बुद्धिजीवी बना मैं न्यारा हूँ
पढ़ लिख कर नवाब बनने के सपने को
मरता छोड़े वैसा मैं हत्यारा हूँ
आवारा हूँ
सच का सामना होता जब इस दुनिया में
अंदर उठते तब विचार विद्रोह भरे
और खून आँखों में भी आ जाता है
लगता है जैसे की आएगी आंधी
टूटने लगते हैं बाँध आदर्षों के
जब दीखते हैं चोट हरे संघर्षों के
तब लगता है कठिन डगर सच्चाई का
अंतर्द्वंद की पराकाष्ठा ये ही तो है
जब चुनाव हो गड्ढे और खाई का
क्यूँ मैं डर जाऊं रणभूमि है वीरों की
उत्साह कहाँ माने बंधन जंजीरों की
मैं तो रण का योद्धा और पुजारी हूँ
परिचय है आवारा क्रांतिकारी हूँ ………..