Essay on Jai prakash Narayan in Hindi। जयप्रकाश नारायण पर निबंध

जयप्रकाश नारायण पर निबंध

यप्रकाश नारायण पर निबंध essay on Jai prakash Narayan in Hindi जयप्रकाश नारायण पर हिंदी में निबंध Essay on Jai prakash Narayan in Hindi for students Bihar Revolution sampurn kranti by jayprakash narayan – लोकनायक जयप्रकाश के कारण आज भारत का मस्तक विश्व के सम्मुख फिर से ऊँचा उठा है। आज समस्त विश्व भारत की लोकतान्त्रिक शांतिपूर्ण क्रांति से अत्यंत प्रभावित है। भारत में जो कुछ पलक झपकते ही हो गया उसका श्रेय लोकनायक जयप्रकाश को ही है। 

जयप्रकाश का आरंभिक जीवन 

जयप्रकाश का जन्म  गंगा और सरयू के संगम पर स्थित सिताब दियारा नामक ग्राम में सन १९०२ ई. में ११ अक्टूबर को हुआ था। इनकी माता का नाम फूलरानी तथा पिता का नाम हरसू दयाल था। 
कहावत है कि ‘होनहार विरवान के होत चिकने पात। ” जयप्रकाश का जीवन एक ऐसे महामानव का जीवन है जिसके आरंभिक काल से एक से एक बढ़कर विशेषताएँ दिखाई पड़ने लगी थी। अपनी बिहार की हाई स्कूल की परीक्षा मेरिट के साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। महात्मा गांधी के असहयोग आन्दोलन छिड़ने पर इंटर की परीक्षा में बैठे ही नहीं और निर्णय किया कि वहीँ पढूँगा ,जहाँ गुलामी की साया भी न होगी। निर्णय पर अडिग जयप्रकाश अमेरिका जा पहुँचे और वहीँ से उच्च शिक्षा प्राप्त की। 

स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान 

Essay on Jai prakash Narayan in Hindi। जयप्रकाश नारायण पर निबंध

आगे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जयप्रकाश ऐसे कूदे कि अंग्रेजी सरकार इनके नाम से कांपती थी। इच्छा के विरुद्ध जेल  ले जाए गए तो जेल की ऊँची दिवार फांदकर नौ दो ग्यारह हो गए और विदेशी सरकार हाथ मलती रह गयी। स्वतंत्रता के पश्चात राजनीति से सन्यास ले ही लिया। यदि चाहते तो मंत्री पद से लेकर उच्चतम पद प्राप्त करना कुछ भी उनके लिए असंभव नहीं था। इन्होने राष्ट्र के लिए जो कुछ किया उस पुनीत कार्य में इनकी पत्नी प्रभावती देवी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। पति के साथ स्वतंत्रता संग्राम में वह भी कूद पड़ी थी और जेल की काल कोठरियों की सजा भोगी थी। 

भारतीय लोकतंत्र के रक्षक 

जीवन के अंतिम पहर में भारतीय लोकतंत्र पर आघात होते देख ,वे सहन नहीं कर सके और कूद पड़े चुस्त राजनीति में। वर्तमान प्रधानमंत्री श्रीमती इन्द्रिरा गांधी लोकनायक के प्रताप से अपरिचित नहीं थी। उन्हें वहां कैद किया ,जहाँ सूर्य की रौशनी भी न पहुँच सके। किन्तु लोकनायक का स्वर घर – घर पहुँचने से कोई शक्ति रोक न सकी। भारत का तरुण झूम – झूम कर ललकारने लगा – 
जयप्रकाश का बिगुल बजा तो जाग उठी तरुणाई है।
तिलक  लगाने  तुम्हें  जवानों  क्रांति द्वार पर आई है।
जेल यातना में जयप्रकाश के गुर्दे ख़राब हो चुके थे। परन्तु डॉक्टर इस महामानव के मनोबल को देखकर स्वयं आश्चर्य चकित थे। इस कालजयी को मृत्यु का भय नहीं रहा। वर्तमान चिकित्सा सम्बन्धी डायलिसिस पर निर्भर जयप्रकाश जी ने अमेरिकी यात्रा से लौटने पर कहा कि मैं कम से कम दस वर्ष और जीवित रहूँगा। आज जयप्रकाश जीवित नहीं है। कीमती तथा कष्टदायी डायलिसिस पर वर्षों तक उन्होंने बड़ा कष्ट झेला था। जीवन की अंतिम अवस्था तक जयप्रकाश तन – मन धन सहित भारत माता की सेवा में संलग्न रहे। 

सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान

विश्व के अनेक जिज्ञासुओं के मन में आज प्रश्न उठता है कि आखिर वह प्रकाश नारायण कौन था ? जिसके नाम से तानाशाही घबरा उठी ,अन्यायपूर्ण व्यवस्था चरमरा गयी ,जुल्म करने वालों का ह्रदय थरथरा उठा था। वह कौन था ,जिसके नाम से देश के नौजवान जान की बाजी लगाकर तानाशाही के विरुद्ध समस्त देश में टिड्डी की तरह फ़ैल गए थे। इसी लोकनायक की आवाज पर देश की राजनितिक पार्टियों का ध्रुवीकरण हुआ और देश का एक एक बच्चा जनता पार्टी के ध्वज के नीचे खड़ा होकर नवनिर्माण में संलग्न हुआ था। 

आज इस महामानव ,नव क्रांति के प्रेरणाश्रोत के लिए भारत का एक एक नर नारी नतमस्तक होकर ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि एक लम्बे अरसे तक इनकी प्रेरणा भारत पर साया बनी रहे। नारायण स्वरुप जयप्रकाश अपने अलौकिक प्रकाश से भारत को ही नहीं ,विश्व को अनंत काल तक अपनी आत्मशक्ति से सुशोभित करते रहें। 

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