अनजान मुहाफिज

अनजान मुहाफिज

सम्पदा जैसे ही आॅफिस से बाहर निकली धीमी हवा ने धीरे – धीरे प्रचण्ड आंधी – तूफान का रूप ले लिया ।वह सड़क किनारे खड़ी होकर टैक्सी की राह देखने लगी ।तेज हवा से उसकी साड़ी का पल्लू शामियानें की तरह लहराने लगा ।वह हवा के साथ ऐसे हिचकोले खाने लगी जैसे ये प्रचण्ड वेग ही उसे गनतव्य तक पहुँचाएगा ।कुछ देर बाद उसके पास एक टैक्सी आकर रूकी , उसने बैठते हुए बस स्टाप चलने को कहा ।उसके बस स्टाप पर पहुँचते ही रिमझीम बारीश शुरू हो गई ।बारीश उसे बहुत अच्छी लगती थी लेकिन एक के बाद एक मौसम बिगड़ने से उसे कोफ्त होने लगी ।दूसरी तरफ बस का भी कोई ठिकाना नहीं था ।वह मन ही मन बड़बडाते हुए कभी बस की राह देखती तो कभी आसमान में घुमडते बादलों को देखकर सिहर जाती ।

छिनतई                        सामने चाय के ठेले पर कुछ लोग खड़े हुए उसे घूर रहे थे , उस वक्त बस स्टाप पर वही एक महिला थी ।उसने अपना ध्यान दूसरी तरफ लगा लिया ।तभी एक लड़का अपने एक हाथ से सर को भीगने से बचाता हुआ उसकी तरफ दौड़ा हुआ आया ।वह टीन के नीचे आ गया ।उसका एक हाथ अब भी उसके सर पर बना हुआ था ।सम्पदा को अपनी तरफ देखते हुए देखकर उसने अचकचाते हुए अपना हाथ बालों मे घुमाते हुए नीचे कर लिया ।वह सांवला सा लेकिन खुबसूरत नौजवान था ।
                  ठेले पर खड़े लड़के जो कुछ देर पहले उसे घूर रहे थे , अब तालियाँ बजाकर ऊँचे सुर मे गाना गा रहे थे और उसकी तरफ इशारा कर रहे थे ।सम्पदा को उनकी हरकतों से गुस्सा आ रहा था , वह उनकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी ।तभी वह सांवला सा लड़का अपने एक हाथ को सर पर रखकर उसी अंदाज मे उनकी ओर दौड़ गया , जिस तरह वह यहां आया था ।वह उन लड़कों से न जाने क्या बातें करने लगा , धीरे – धीरे सभी लड़के वहाँ से चले गए ।वह उसी अंदाज से भागता हुआ फिर सम्पदा के नजदीक आकर खड़ा हो गया ।सम्पदा उसको हैरान होकर देखने लगी , वह जानना चाहती थी कि उसने ऐसा क्या कहा जिससे वह सभी चले गए लेकिन वह कुछ न पूछ सकी ।
                   तभी वहाँ बस आ गई और दोनों बस मे बैठ गए ।अंधेरा घीरने लगा था , वह थोड़ी – थोड़ी देर मे घड़ी देख रही थी ।अभी बस दो स्टाप आगे ही गई थी कि घनघनाते हुए रूक गई ।सभी ठगे हुए से ड्राइवर के मुँह की तरफ ताकने लगे ।ड्राइवर ने बस खराब होने की सूचना दी और सभी से बस से नीचे उतरने को कहा ।धीरे – धीरे सभी सवारियाँ नीचे उतरने लगी ।अब तक बारीश भी रूक गई थी ।वह सड़क किनारे खड़ी होकर ओर किसी वाहन की राह देखने लगी ।वह थक खर चूर हो रही थी ।सारा दिन आॅफिस मे काम और अब ये घर तक पहुँचने मे परेशानी , उसने अनायास ही माथा पकड़ लिया ।
                  कुछ देर बाद वहाँ एक जीप आई ।उस बस के ड्राइवर समैत पल भर मे ही वह सवारियों से ठसाठस भर गई ।बचे हुए लोगों के साथ सम्पदा भी निराश सी वहीं खड़ी रह गई व दूसरे वाहन की प्रतिक्षा करने लगी ।
तभी थोड़ी दूरी पर एक बाइॅक आकर रूकी व शेखर – शेखर की पुकार होने लगी ।पुकार सुनकर वहीं सांवला
पुष्पा सैनी
पुष्पा सैनी

सा लड़का उसकी तरफ गया व उससे बतियाने लगा ।सम्पदा अपने आसपास खड़े लोगों पर सरसरी नजर डालने लगी ।वह मन ही मन शंकित हो गई कि कहीं शेखर उस बाॅइक पर चला गया तो वह यहाँ अकेली रह जाएगी लेकिन उसके इन विचारों मे सेंध लगाता हुआ वह फिर उससे कुछ दूर आकर खड़ा हो गया ।

तभी वहाँ दूसरी जीप आई तो सवारियाँ उसकी तरफ दौड़ पड़ी ।वह भी पहली जीप की तरह ठसाठस भर गई ।कुछ लड़के जीप के पीछे लटक गए ।जीप कुछ देर मे वहाँ से रवाना हो गई ।उसने अपने आसपास देखा तो शेखर के सिवा वहाँ कोई नहीं था ।वह उससे पूछना चाहती थी कि क्या वो यहाँ उसी के लिए रूका है लेकिन पूछ न सकी ।
तभी वहाँ एक कार आकर रूकी ।उसमें दो लड़के बैठे हुए थे ।
उनमें से एक ने पूछा कि आपको लिफ्ट लेनी है तो कार मे बैठ जाईये ।
शेखर ने सम्पदा की तरफ सवालियाँ नजरों से देखा तो उसने इनकार मे गर्दन हीला दी ।शेखर ने उन्हें मना कर दिया ।
तभी एक लड़का गाड़ी से उतरा और सम्पदा से कहने लगा , देखिए मैडम रात बहुत हो चूकी है आपका यूँ अकेले सुनसान रास्ते मे खड़े रहना ठीक नहीं हैं ।मेरी मानिए गाड़ी मे बैठ जाईये ।
तभी शेखर ने उस लड़के के बिलकुल नजदीक जाकर कहा , तुम्हें समझ नहीं आता हमने मना कर दिया है और ये अकेली नहीं हैं मैं हूँ इनके साथ ।अब तुम जाते हो या पुलिस के पास फोन करूँ ।
तभी दूसरा लड़का भी गाड़ी से बाहर आया और शेखर का गिरेबान पकड़कर बोला , तू हमें पुलिस की धमकी देगा ।
शेखर ने उसकी नाक पर मुक्का देकर मारा ।उस लड़के की नाक से खून का फव्वारा फूट पड़ा ।वह दूसरा लड़का उसे संभालने लगा ।तभी वहाँ एक जीप आकर रूकी ।शेखर सम्पदा का हाथ पकड़कर जीप की तरफ भागा व जीप जल्दी चलाने को कहा ।जीप चली तो दोनों ने चैन की सांस ली ।वो लड़के अब भी वहीं खड़े थे ।सम्पदा और शेखर एक दूसरे की तरफ देखकर अनायास ही ठहाका लगाकर हँसने लगे ।
सम्पदा ने कहा – थैंक्यूँ आपने मेरी इतनी मदद की , मैं तो डर ही गई थी ।
शेखर ने कहा – ऐसे लड़के सुनसान सड़कों पर इसी मकसद से घुमते हैं , देखा नहीं पुलिस के नाम से भी नहीं डर रहे थे ।
सम्पदा ने गर्दन झटकते हुए कहा – उफ आज का दिन तो मैं कभी नहीं भूलूंगी ।
शेखर ने मुस्कराते हुए कहा – और मैं भी ।
फिर दोनों इधर – उधर की बातें करने लगे ।कुछ देर बाद सम्पदा ने जीप के ड्राइवर से कहा – जीप अगले स्टाप पर रोक देना मुझे वहीं उतरना है ।
उसके ऐसा कहते ही जीप रूक गई ।सम्पदा ने कहा – यहाँ नहीं अगले स्टाप पर ।
तभी शेखर ने चाकू निकालकर सम्पदा की गर्दन पर रखा ।सम्पदा उसे हैरानी से देखती रहे गई कुछ कह न सकी ।
शेखर ने कहा – तुम्हारे पास जो भी किमती सामान हैं वो सब जल्दी से दे दो ।सम्पदा पर्स से रूपय निकालने लगी ।
शेखर ने कहा – ये झुमके और गले की चेन भी उतारो ।
सम्पदा के हाथ कांप रहे थे ।शेखर ने खुद ही उसके गले से चेन खींच ली ।शेखर ने उसे वही धक्का देकर जीप से उतार दिया व जीप पल भर मे उसकी आँखों के आगे से ओझल हो गई ।वह वहीं खड़ी देखती रह गई ।

यह रचना पुष्पा सैनी जी द्वारा लिखी गयी है। आपने बी ए किया है व साहित्य मे विशेष रूची है।आपकी कुछ रचनाएँ साप्ताहिक अखबार मे छप चुकी हैं ।

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