एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा Everest Meri Shikhar Yatra Class 9 Ncert

एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा 

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एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा लेखिका (पर्वतारोही) बचेंद्री पाल जी के द्वारा लिखित है | लेखिका बचेंद्री पाल ने एवरेस्ट विजय की अपनी रोमांचक पर्वतारोहण-यात्रा का सम्पूर्ण विवरण स्वयं ही कलमबद्ध किया है | आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखिका कहती हैं कि एवरेस्ट अभियान दल 7 मार्च को दिल्ली से काठमांडू के लिए हवाई जहाज़ से चल दिया | एक मजबूत अग्रिम दल बहुत पहले ही चला गया था, जिससे की वह हमारे ‘बेस कैंप’ पहुँचने से पहले दुर्गम हिमपात के रास्ते को साफ कर सके | प्रस्तुत पाठ के अनुसार, नमचे बाज़ार (शेरपालैंड का एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण नगरीय क्षेत्र है |) से लेखिका ने एवरेस्ट को जब निहारा तो उसने एवरेस्ट पर एक बड़ा भारी बर्फ़ का फूल देखा | यह बर्फ का फूल तेज़ हवा के कारण बनता है | 

एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा
एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा

आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब अभियान दल 26 मार्च को पैरिच पहुँचा तो पता चला कि खुंभु हिमपात पर जाने वाले शेरपा कुलियों में से बर्फ़ खिसकने के कारण एक कुली की मृत्यु हो गई और चार लोग घायल हो गए | इस समाचार के कारण अभियान दल के सदस्यों के चेहरों पर छाए अवसाद को देखकर उनके नेता कर्नल खुल्लर ने स्पष्ट किया कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए | आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, ‘बेस कैंप’ पहुँचकर मालूम पड़ा कि प्रतिकूल जलवायु के कारण एक रसोई सहायक की मृत्यु हो गई है | 

अभियान दल 29 अप्रैल को 7900 मीटर ऊँचाई पर स्थित ‘बेस कैंप’ पहुँचे, जहाँ तेनजिंग ने लेखिका का हौसला बढ़ाते हुए कहा — ‘तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो | तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए…|’ 15-16 मई, 1984 को अचानक रात 12:30 बजे कैंप पर ग्लेशियर टूट पड़ा, जिससे कैंप तहस-नहस हो गया | सभी चोटिल हो गए | लेखिका बर्फ़ में दब गई थी | लेखिका को बर्फ़ से बाहर निकाला गया | तत्पश्चात्, लेखिका साउथ कोल कैंप पहुँची | वहाँ उसने पीछे आने वाले साथियों की सहायता करके सबको खुश कर दिया | अगले दिन वह प्रात: ही अंगदोरज़ी के साथ शिखर-यात्रा पर निकली | अथक परिश्रम के बाद वे शिखर-कैंप पहुँचे | लेखिका एक और साथी ल्हाटू के आ जाने से ऑक्सीजन आपूर्ति बढ़ गई, जिस वजह से चढ़ाई और भी आसान हो गई | 

23 मई , 1984 के दिन दोपहर के एक बजकर सात मिनट पर लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर खड़ी थी | वह एवरेस्ट की चोटी फतह करने वाली प्रथम भारतीय महिला बनी थी | वास्तव में देखा जाए तो चोटी पर दो व्यक्तियों के साथ खड़े होने की जगह नहीं थी, किन्तु उन्होंने फावड़े से बर्फ की खुदाई करके अपने आप को सेफ किया | तत्पश्चात्, लेखिका ने घुटनों के बल बैठकर ‘सागरमाथे’ के ताज को चुंबन लिया | फिर छोटी सी पूजा अर्चना करके दुर्गा माँ तथा हनुमान चालीसा को कपड़े में लपेटकर बर्फ़ में दबा दिया | इस दौरान लेखिका को अपने माता-पिता की याद आई | अंगदोरज़ी ने लेखिका को गले से लगकर बधाई देते हुए कहा — ‘दीदी, तुमने अच्छी चढ़ाई की | मैं बहुत प्रसन्न हूँ |’ 

तत्पश्चात्, आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, कर्नल खुल्लर ने भी लेखिका को बधाई देते हुए कहते हैं — ‘मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हरे मात-पिता को बधाई देना चाहूँगा | देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में वापस जाओगी, जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम अलग होगा…||’ 

बछेंद्री पाल का जीवन परिचय

प्रस्तुत पाठ की लेखिका बचेंद्री पाल जी हैं | इनका जन्म 24 मई, 1954 को उत्तरांचल के चमोली जिले में बंपा गाँव में हुआ था | इनके पिता पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ थे | इसलिए बचेंद्री पाल को आठवीं से आगे की पढ़ाई का खर्च सिलाई-कढ़ाई करके जुटाना पड़ा | असमान्य परिस्थितियों से लड़ते हुए बचेंद्री पाल ने संस्कृत में एम.ए. और फिर बी.एड. की डिग्री प्राप्त की | लक्ष्य के प्रति इसी समर्पण भाव ने इन्हें एवरेस्ट पर विजय पाने वाली पहली भारतीय पर्वतारोही होने का गौरव दिलाया | बचेंद्री पाल को पहाडों पर चढ़ने शौक़ बचपन से ही था | पढ़ाई पूरी करने के पश्चात् इंडियन माउंटेन फाउंडेशन के एवरेस्ट अभियान दल में बचेंद्री पाल शामिल हो गईं | आख़िरकार, कई महीनों के मुश्किल अभ्यास के बाद वह दिन आ ही गया, जब बचेंद्री पाल ने एवरेस्ट विजय के लिए प्रयाण किया…| 

एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा के प्रश्न उत्तर

प्रश्न-1 अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, अग्रिम दल का नेतृत्व उपनेता प्रेमचंद कर रहे थे | 

प्रश्न-2 लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखिका को शिखर पर लहराता हुआ एक बड़े भारी बर्फ़ का बड़ा फूल (प्लूम) पर्वत ध्वज जैसा प्रतीत हुआ | 

प्रश्न-3 हिमस्खलन से कितने लोगो की मृत्यु हुई और कितने लोग घायल हुए ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, हिमस्खलन से एक की मृत्यु हुई और चार लोग घायल हुए | 

प्रश्न-4 लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय किस तरह दिया ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय देते हुए कहा कि वह बिल्कुल नौसिखिया है और एवरेस्ट उसका प्रथम अभियान है | 

प्रश्न-5 नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका आश्चर्यचकित रह गई | लेखिका एवरेस्ट ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी बर्फ़ीली ढेढ़ी-मेढ़ी नदी को एकटक निहारती रही | 

प्रश्न-6 डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, डॉ. मीनू मेहता लट्ठों और रस्सियों का उपयोग, अल्मुनियम सीढ़ियों से अस्थाई पुलों का निर्माण, बर्फ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना और अग्रिम दाल के अभियांत्रिक कार्यों के बारे में जानकारियाँ दी | 

प्रश्न-7 लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, तंबू के रास्ते एक बड़ा बर्फ़ पिंड गिरने से कैंप नष्ट हो गया और लेखिका भी उसमें दब गई थीं | इसलिए लोपसांग ने अपनी स्विस छुरी की सहायता से बर्फ़ काटकर तंबू का रास्ता साफ़ किया और लेखिका को बाहर निकाला | 

प्रश्न-8 साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरू की ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी करने के लिए खाना, कुकिंग गैस, कुछ ऑक्सीजन सिलिंडर इकट्ठे किए तथा अन्य सदस्यों की सहायता के लिए गरम चाय व जूस से थरमसों को भरने हेतु नीचे उतरने का निश्चय किया | 

प्रश्न-9 हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं ? 

उत्तर- वास्तव में, बर्फ़ के टुकड़ों का अव्यवस्थित व अनिश्चित ढंग से गिरने की क्रिया को हिमपात कहते हैं | ग्लेशियर के बहने से अक्सर बर्फ़ में हलचल मच जाती है | परिणामस्वरूप, बर्फ़ की बड़ी-बड़ी च़ट्टाने तत्काल गिर जाया करती हैं | इससे धरातल पर बड़ी-चौड़ी दरारें पड़ जाया करती हैं | 

प्रश्न-10 लेखिका के तम्बू में गिरे बर्फ़ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब लेखिका अपने तम्बू में रात 12.30 बजे गहरी नींद में सो रही थीं, तभी एक सख़्त चीज़ लेखिका के सिर के पिछले हिस्से से टकराई और वह जाग गई | वास्तव में, एक लंबा बर्फ़ पिंड ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर कैंप के ऊपर आ गिरा था | उसमें अनेक हिमखंडो का पुंज था | वह अत्यधिक तेज़ गति और गर्जना के साथ गिरा | इस दुर्घटना से चोट तो सभी को लगी पर भाग्यवश मृत्यु किसी की भी नहीं हुई | इस घटना ने लेखिका के कैंप को नष्ट कर दिया था |  

प्रश्न-11 जय लेखिका को देखकर हक्का-बक्का क्यों रह गया ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जय लेखिका को देखकर  हक्का बक्का इसलिए रह गया क्योंकि इतनी बर्फ़ीली हवा में नीचे उतरना जोख़िम भरा कार्य था |  फिर भी लेखिका सबके लिए चाय व जूस लेने नीचे उतर रही थी | 

प्रश्न-12 एवेरेस्ट पर चढ़ने के लिए कितने कैंप बनाये गए ?  उनका वर्णन कीजिए | 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल 6 कैंपों का निर्माण किया गया था — 

• बेस कैंप — यह मुख्य कैंप था | 

• कैंप – 1 —  यह कैंप 6000 मीटर की ऊँचाई पर बनाया गया था | यह हिमपात के ठीक ऊपर था |  इसमें सामान रखा  गया था | 

• कैंप – 2 — यह चढ़ाई के रास्ते में बनाया गया था | 

• कैंप – 3 — इसे ल्होत्से की बर्फ़ीली सीधी ढलान पर लगाया गया था | यह रंगीन  नायलॉन से बना था | यहीं ल्होत्से
              ग्लेशियर से टूटकर बर्फ़ पिंड कैंप पर  आ गिरा था | 

• कैंप – 4 — यह समुद्र तट से 7900 मीटर की  ऊँचाई पर था | साउथ कोल स्थान लगने के कारण साउथ कोल कैंप कहलाया | 

• शिखर कैंप — यह अंतिम कैंप था | यह एवरेस्ट के ठीक नीचे स्थित था | 

प्रश्न-13 चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर पहुँची, तब एवरेस्ट की चोटी शंकु आकार की थी | वहाँ दो व्यक्ति एक साथ खड़े भी नहीं हो सकते थे | चारों तरफ़ हज़ारों मीटर लंबी ढलानें थी |  लेखिका के सामने सुरक्षा का प्रश्न था | वहाँ फावड़े से बर्फ़ की खुदाई की गई ताकि खुद को सुरक्षित किया जा सके | 

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निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए — 
प्रश्न-14 एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए | 

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ पर्वतारोही ‘बचेंद्री पाल’ जी के द्वारा रचित ‘एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा’ से उद्धृत हैं | उक्त पंक्तियाँ या कथन अभियान दल के नेता कर्नल खुल्लर का है | कर्नल खुल्लर ने इन पंक्तियों का जिक्र शेरपा कुली की मृत्यु की ख़बर के पश्चात् कहा था | उन्होंने अभियान के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को वास्तविकता से परिचित कराने के मक़सद से सदस्यों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा था कि एवरेस्ट की चढ़ाई कोई आसान काम नहीं है, यह जोख़िम भरा अभियान होता है | एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए | 
 
प्रश्न-15 सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र खयाल ही बहुत डरावना था | इससे भी ज़्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा | 

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ पर्वतारोही ‘बचेंद्री पाल’ जी के द्वारा रचित ‘एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा’ से उद्धृत हैं | इन पंक्तियों व कथन से तात्पर्य यह है कि हिमपात के कारण बर्फ़ के खंडों व टुकड़ों के दबाव से कई बार धरती के धरातल पर दरारें पड़ जाती हैं | यह दरार गहरी और चौड़ी होती चली जाती है और हिम-विदर में परिवर्तित हो जाती है | इसलिए लेखिका कहती हैं कि इससे भी ज़्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा | 

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भाषा अध्ययन
प्रश्न-16 निम्नलिखित पंक्तियों में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए — 

(क) उन्होंने कहा तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए

(ख) क्या तुम भयभीत थीं

(ग) तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री

उत्तर- विराम चिह्नों का प्रयोग – 

(क) उन्होंने कहा “तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए” | 

(ख) क्या तुम भयभीत थीं ? 

(ग) तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली, बचेंद्री ? 

प्रश्न-17 नीचे दिए उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए — 

उदाहरण : हमारे पास एक वॉकी-टॉकी था | 

टेढ़ी-मेढ़ी
गहरे-चौड़े
आस-पास
हक्का-बक्का
इधर-उधर
लंबे-चौड़े

उत्तर- शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग – 

• टेढ़ी-मेढ़ी − यह सिलाई टेढ़ी-मेढ़ी है | 
• गहरे-चौड़े − यहाँ गहरे-चौड़े गड्ढे हैं | 
• आस-पास − वे मेरे आस-पास ही हैं | 
• हक्का-बक्का − उसको देखते ही मैं हक्का-बक्का  रह गया | 
• इधर-उधर − पैसे इधर-उधर से जुगाड़ कर लेना | 
• लंबे-चौड़े − लंबे-चौड़े भाषण बोरिंग होते हैं | 

प्रश्न-18 उदाहरण के अनुसार विलोम शब्द बनाइए —  
उदाहरण : अनुकूल − प्रतिकूल

नियमित −……………….
आरोही −……………….
सुंदर −……………….
विख्यात −……………….
निश्चित −……………….

उत्तर- उदाहरण के अनुसार विलोम शब्द

• नियमित – अनियमित
• आरोही – अवरोही
• सुंदर – असुंदर
• विख्यात – अविख्यात
• निश्चित – अनिश्चित

प्रश्न-19 निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग लगाइए — 

जैसे : पुत्र – सुपुत्र, वास, व्यवस्थित, कूल, गति, रोहण, रक्षित


उ. शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग
• वास – प्रवास
• व्यवस्थित – अव्यवस्थित
• कूल – प्रतिकूल
• गति – प्रगति
• रोहण – आरोहण
• रक्षित – आरक्षित

प्रश्न-20 निम्नलिखित क्रिया विशेषणों का उचित प्रयोग करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए — 

अगले दिन, कम समय में, कुछ देर बाद, सुबह तक

(क) मैं ………….. यह कार्य कर लूँगा | 
(ख) बादल घिरने के ………….. ही वर्षा हो गई | 
(ग) उसने बहुत ……………इतनी तरक्की करली | 
(घ) नाङकेसा को ………….. गाँव जाना था | 

उत्तर- क्रिया विशेषणों का उचित प्रयोग – 

(क) मैं अगले दिन यह कार्य कर लूँगा | 
(ख) बादल घिरने के कुछ देर बाद ही वर्षा हो गई | 
(ग) उसने बहुत कम समय में इतनी तरक्की कर ली | 
(घ) नाङकेसा को सुबह तक गाँव जाना था | 

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एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा पाठ का शब्दार्थ 

• अंतत: – आखिरकार
• हिमपुंज – बर्फ़ का समूह
• उपस्कर – आरोही की आवश्यक सामग्री
• भुरभुरी – चूरा-चूरा टूटने वाली 
• शंकु – नोक
• रज्जु – रस्सी
• दुर्गम – जहाँ जाना कठिन हो
• ध्वज – झंडा
• हिम-स्खलन – बर्फ़ का गिरना 
• नेतॄत्व – अगुवाई 
• अवसाद – निराशा
• ज़ायजा लेना – अनुमान लेना
• हिम-विदर – बर्फ़ में दरार पड़ना  
• जोखिम – खतरा  | 

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